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________________ CSIRIDIOISTRISTRI5015 विद्यानुशासन ADIDIEOSRISDISEASE प्रातः शुद्धोभूत्वा समर्चोदयंत्रं देवता नित्यं, परिजप्प मूल मंत्रं वारान सप्ताथ तत्पश्येत् ॥११७॥ प्रातःकाल के समय शुद्ध होकर प्रतिदिन यंत्र के देवता के मूल मंत्र को सात बार जप करके पूजन करके उसे देखे। & फ स्वाहात स्वाता रसाहाढ स्वाहा स्वाहा M स्वाहाट स्वाहा # साल स्वाला, रशहा. के नाम HIL . X hath. . 4 VO का ARUN व स्वाहा, स्वाना व स्वाहा 9 ल स्वाहा 9 रवाहाच स्वाहा म स्वाहा ७ प स्वाहा देवदा कि TALAYA BIRHT ही मना स्वाहा, पली I माम नाate बली चस्वाला र स्वाहा प स्वाहा शि * व स्वाहा, ना स्वा. व न्या. म स्वाहा, "ग स्वाहा, स्लाहा. ॐ स्वाहास स्वाहा स्वास है म त्याला RI क्षुद्राव्य वचोच्चाटन विद्वेष स्तंभ बैरि रीति कतैः, बहु विध चरा चरोद्भव गरल नवग्रह पिशाचायैः ॥११८॥ SERISTOTSTRASOIDIOSE0951 ८३२ PMIDIOSRIDICTICTIONARIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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