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________________ CHRISCREESOME विशानुशाश्मन ASIADIOHDDESISCIEN स्वंशलाको पात्तैः हष्ट मनाः स्वस्तिसना सीनः, उत्तरदिरिम मुरवैः कृत सकली कृति रक्षा भिधानः ॥८६॥ इस प्रकार बहुतप्रकार की विधि से बने हुये उस कपड़े के बीच में कुष्ट (कूट) यूगा गरू (दोनों अगर और तगर) केशर कपूर घनसार (कपूर) त्वक पत्र (तीलोसपत्र) उषीर (खस) असृक (केशर) मयुरशिखा केतकी दोनों प्रकार की और पराग फूलों की रजड़ (मिट्टी) लदमी (तुलसी) स्वेताब्ज (सफेद कमल शमी (खेजडा) कांता (सफेददूब)सूर्या (इंद्रायण)'खाना (सरफोका) रक्तोत्पल(लाल कमल) सरसिज (सफेद कमल) जाति (चमेली)पुट मल्लिका मोतिया मोगरा फूल प्रियंगु रंभा (केला) पदमा (मंजीठ)पुन्नाग क्रमुक (सुपारी) वकुल (मोलश्री) काकोली के फूल काली गाय का दूध, पृथ्वी पर बिना गिरे हुए गोबर का रस, महिषाक्ष गूगल (भैंसा गूगल) के निर्यास (काठे या रस) शाल वृक्ष ब्रह्म (छीला पलाश) कपित्य (कैथ काथोड़ी) और कणिकार (कनेर) आदि को हिम (टण्डा चन्दन) पीससकर नवरत्नों क साथ बर्तन में रखकर सुवर्ण (सोने) की शलाका (कलम) लेकर प्रसन्न मन होकर स्वस्तिक के आसन में बैठकर उत्तर दिशा की तरफ मुख करके रक्षा करने थाली सकली करण क्रिया करके। संधार्य शंख मुद्रां वहमाने शशिनि भूषणोदमासि, अपराजित मंत्राष्टत्तर शतज्जप्त स्व भीमकरः ॥८७॥ शंख मुद्रा को धारण करके चंद्र स्वर के बहने पर आभूषणों से भूषित होकर अपराजित मंत्र को अपने दाहिने हाथ से एक सौ आठ बार जपे। • पात्रानुकूलकाले पूजित मंत्रादि देवता चार्यः, मंत्रा रभेत लिरिवतु यंत्रंकत मंगल विधानं ॥८८॥ पात्र (साध्य) के अनुकूल समय में मंत्र आदि के देवताओं का पूजन करके आचार्य मंत्र के प्रारंभ में मंगल विधान करके यंत्र को लिखे साप्यस्य नामधेयं वारूणा पिंडे विलिरख्या वम्लय दिक्षु लिखेत, चत सृषुभयनाधिपति वकार पिंडे विलिरव्यं विदिक्षु वहिः॥८९।। साध्य को नाम वारा पिंड (कम्यूँ) के बीच में लिखे उसकी तारों दिशाओं में भुवनाधि पति (ह्रीं) लिखे और बाहर विदिशाओं में वकार पिण्ड (बल्यू) बीज को लिखे। कत्वादष्टदलं पद्म न्यस्टोत्पत्रेषु तस्य जय मंत्रं, पत्राणामग्रेषु ह्रीं विलिरवेदं तरेषु क्लीं ॥१०॥ SYSTOISEDIOTSEXSEXSTO5८२७BASIRISTOISTRISPECISION
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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