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SHIRIDIEOSE5155 विद्यानुशासन VSTOTRAOISSISCISION
लिखेद भू मंडलं बाह्ये रक्षा यंत्रमिदं स्मृतं, शुद्ध गोमट संमृष्टे देशे भू ग्रह पंकज
!॥४३॥
चूर्णेन पंच वर्णेन विनिर्माय समच्य च , तन्मध्ये विलिरब्येत् पद्म पत्रैः सहित मष्टभिः
माध्य को बिटलाने का यंत्र
॥४४॥
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331.
मा
इस रक्षा यंत्र को शुद्ध गोबर से साफ किये हुए स्थान (प्रदश) में पृथ्वी पर कमलाकर में बाहर पृथ्वी मंडल लिखकर बनायें। इस पाँच वर्ण के चूर्ण से बनाकर और पूजन करके उसके बीच में आठ दलों सहित कमल लिखे।
तत्कर्णिकाटयां श्री वर्ण कले द्वे द्वे दलेषु च, पीठं तस्योपरिन्यस्य उम्नं श्वेतेन वाससा
॥४५॥ उनकी कर्णिका में श्री वर्ण और पत्तों में दो दो कला (स्वर) लिखकर उसको श्वेत वस्त्र से ढक देवे
तस्मिन साध्यं प्रतिष्ठाप्य पंच चूर्णेरथोषधैः,
तन्निवटेंन मंत्रस्य प्रजप्त्वा त्रिनिंवर्द्धयेत् उस पर साध्य को बैठाकर पाँ! वर्ण और औषधियों से निवर्द्धन मंत्र के द्वारा मंत्र को जपकर तीन बार निवर्द्धन करे।
निवर्द्धन मंत्र ॐक्षां वां ह्रीं ह्रीं पर पर ॐ काली काली महाकालि महाकालि चंडेश्वर कालि चडेश्वर कालि ब्रह्मकालि ब्रह्मकालिइन्द्रकाली इन्द्रकालीवज कालिवजकालि भद्रकालि ॐॐॐॐ ॐ क्षी क्षी क्षी क्षीं सीहुं फट स्वाहा ॥ निवर्द्धन मंत्र CSIRISTRISTRATORSEASTRI5[८२०PIRISTOTSIRSIDASIRECISI