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55150351015RISRTE विधानुशासन OTSIDISCISIOSSIOSSOSI
हस्त द्वय कनीय स्यायं गुलीनां यथा कमो मूले रेरवा त्रय स्योर्द्ध पर्वाग्रेषु च युगपत् सुधी
II & IP न्यस्य पंच नमस्कार ततः जात्रा संपुटयां गुटं युग्मेन स्वांग त्यास करोत्विति
॥२॥ दोनों हाथों की उगुलियों के तीनों रेखाओं से ऊपर के पोखों में और दोनों हथेलियों में एक साथ पंच नमस्कार मंत्र के अक्षरों का ज्यास करे । फिर दोनों हाथों के दोनों अगूठों से निम्नलिखित प्रकार से अपने अंगो में व्यास करे। १०( एवं यरित्रशत्स्थानेषु त्रय त्रिशद्वर्णान स्थापयित्वा) (कादयों क आदि शब्देन शष स ह ऊष्मा ण) कादयो माव साना स्पर्श य र ल या अंतस्था) (केशमूलमें ई ललाट में अ आ आंखों मे इ ई कानों में उ ऊनाक में ऋऋ गाल में ल ल होठ में ए ऐ दांत में ओ औ मुँह में अं आः हाथ में क ख ग घ इं पैर में च छ ज झ ञ संधि में ट ठ ड ढण पार्थ में त थ द ध न पीठ प फ ब भ म नाभि य र ल व स्पर्शन में श र यष हृदय में हं लगायें)
उही अहवं मंहं सं तं पं असि आउसा हस्तसंपुटं करोमि स्वाहा ॥ इति हस्तं संपुटं हाथ जोहना चाहिये। ॐ हां णमो अरहंताण स्थाढि- हाथों को दोनों अंगूठों के हृदय को पूर्व ॐ हीं णमो सिद्धाणं स्याहा- ललाटे ॐ हूं णमो आयारियाणं स्याहा - दाहिने काने ॐ हौं णमो उयज्ज्ञावायाणं स्याहा- पश्चिमे पिछले भाग को छूये . ॐ ह्र: णमो लोण सव्वासाहणं- बाम करणे ॐ ह्रां णमो अरहताणं स्वाहा - शिरो मध्ये ॐ हीं णमो सिद्धाणं स्वाहा - शिरो आग्नेय भागे ॐहीं णमो आयरियाणं स्वाहा - शिरो नैत्रत्य भागे ॐ हूँ णमो उज्झायद्याणं स्वाहा - शिरो वाराव्याम भागे ॐ हां णमो लोए सव्य साहूणं - शिरो ईशान भागे ॐह: णमो अरहताणं स्वाहा - दक्षिण भुजे ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं - वाम भुजे ॐ हूंणमो आयरियाणं स्वाहा - नाभी ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं स्वाहा - दक्षिण कुक्षौ ॐ ह्रीं णमो लोए सव्व साहूर्ण माम कुचो स्पर्शति।। CASIOISOISODCOISON ७६ 15051051055CISION