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SASTOISTRICT595555 दिद्यानुशासन VDIETITICISISTORY
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ॐद्रीगांधाय नमः
ही गोय नमः
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ही धृत्यै नमः
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चामुंडा
ही मत्यै नमः
ही पत्यै नमः
(किं |
नाम
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यस विजयायै
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गभगवायैकाहारात
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* ही देव्यै नमः
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बह्मास्य।
पापा
पपाय
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क्षि
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ॐ नमो भगवती महामाये अजिते अपराजिते त्रैलेक्य माते विो से सर्व भूत भयावहे माणे माणे महामाणे अजिते वस्य करिणी भ्रम भ्रमणि शोषिणि ध्रुव करणी प्राण हरणी जटो विजये मुंभणि खरे रखगे प्राक्षे हर हर प्राण रिवं वणी वणी विद्युत वज हस्ते शोषय शोषय निस्त॒शिनि दुष्टान हर हर प्राणानि मपि छेदिनि सहस्त्र शीर्षे सहस्त्र वाहवे सहस्र नेत्रे ज्वाला मुस्खी महामाणे इलमित तिलमिते हे हुं हुं हे हे ष षगग धुत धुत व वजी जी हौं ह्रौं त्रिर त्रिर रख रख हसनि त्रैलोक्य वासिनि वासिनि त्रैलोक्योदर समुद्रेषे मेले ले सि हुं रक्ष रक्ष फुट दे दे हे हे हु हु हन हन माणे माणे
भूत प्रसवोपरे सिद्ध विधे हुं फट स्वाहा ।। इत्य जिता तमहा विद्या जैन धर्म द्रोह नाशिनी दशमतो ब्रह्म चय तश्च यह अजिता नाम की महा विद्या जैन धर्म के शत्रुओं को नाश करती है।
ॐणट्ठठमाठाणे पणठ कम्मठ्ठण? संसारे परमहिणिठ्ठ अठे अठगुणाधी सरं वंदे श्मशानांतारतः कृष्णी कृतौ लवण निवम धूम क्षारक सतैल गुग्गुलै होमलेपि
चदिन प्रतिद्वि सहस्त्रैः पुष्प जाप्पादरिक्षयः॥ CASTORIOTISTSICIDIOX5035[८०२PISIOTICTICISTOSTOSTONEY