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CASIOTECISIOSSIRISTRICT विधानुशासन 150151DISTRISTRISTOIES बैल के सींग को नीचे की तरफ मुख करके घिसकर स्त्रियों की नाभि पर लेप करने से योनि बंधन होता है तथा ऊपर को मुखबाले सींग को घिसकर लेप करने से खुल जाता है।
व्योमात्त चर्म शकुनि शकृत् लिप्त प्वजो नर: टां गच्छेत्,
स्त्रिय मन्य स्य सा गम्या स्यान्न कस्य चित् ॥१६७।। यदि पुरुष व्योम (पानी) से चर्म शकुनि (गिद्ध) की विष्टा को पीसकर अपने लिंग पर लेप करके किसी स्त्री से भोग करे तो उस स्त्री से और कोई भोग नहीं ला है!
चूर्णं क्षिपति या यौनौ भूलता शक गोपयो:, सुरतं तत्र तस्यैव ध्वजभंगः परस्यतु
।।१६८ जो योनिमें भूलता (केंच) और इंद्र गोप (वीर बहूटी) के चूर्ण को डालता है उस योनि में वही भोग कर सकता है दूसरे पुरुष का उस योनि में लिंग खड़ा न होगा।
आम पत्र पटे दग्धं स्वच्छ सौवीर पेषितं, तदेव लेपनात अन्यात् योनि स्तंभनत भ्रवां
॥१६९॥ आम के पत्तों को सुखाकर घड़े में रखकर जलाकर उसको साफ सौवीर (कांजी) से पीसकर लेप करने से स्त्रियों का योनि स्तंभन दूर होता है।
यामारी करवीयेणा सु पिष्टे नाग केशरै, सेविता लिप्त लिंगेनतां नालं सेवितुं परैः
॥१७०॥ जो नारी(स्त्री) करवीर्य (हाथी के वीर्य) को नाग केशर में पीसकर उससे लेप किये हुए लिंग से भोग करती है उस स्त्री को दूसरा पुरुष सेवन नहीं कर सकता।
अंगा ग्रेण लिप्तं वषस्य गोनिमेहनं निपतेत्, विनतोना विनतेनतुतेन विलिप्तं समु तिष्ठेत्
॥१७॥ गाय या बैल के सींग के आग्रभाग से लेप किया हुआ पुरुष का लिंग गिर जाता है। फिर उसको सींग के नीचे के भाग की ओर से घिसकर लेप करने से खड़ा हो जाता है |
आलक्तक पटे वद्धं शुक्र सेलुतलं स्थितं, रवद्रा पादतल स्थंवा षठंत्वं कुरुते नणां
|| १७२।। आलक्तक (महावर-लाख) के कपड़े में बंधे हुए शुक्र (चित्रक) को सेलु (लिसोठ) के पेड़ के नीचे अथवा खाट की दायणा की तरफ रखने से पुरुष नपुसंक हो जाता है।
सौवर्णे राजते चापि भाजने धौत मौक्तिकं, निपीतं. कुरुते वानि पुनर्व्यज समुस्थितं
॥१७३॥