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________________ OMSONAIRKARISRAARIS विद्यानुशासन 95050512551079OIN आहुति सहस्त्रमऽमुना मंत्रेण हविः कृतं दद्यन्महती, तद्भस्म सप्त कृत्वः कृत जाप्पं नाभि मात्र जलैः ॥१०३।। स्थित्वा ग्रामाचऽभिमुख मैतन्मंत्रं जपन् क्षिपेत् तस्मिन, उदके स्यु मादे स्तस्य विपद् व्याधि वंद्यभियः ॥१०४ ॥ ग्राम (गोल रेखा से घिरे हुए) खेट (छोटी पहाड़ियों से घिरे हुए को) नगर (चारों ओर परकोटे से घिरे हुए) को कहते हैं। ग्राम गेट था नगर की समान मिट्टी का चबूतरा बनाकर उसको गोबर से लीपकर उसके मध्य में हवन कुंड बनाकर उसमें कणा (पीपल) के तुषों से एक हजार आहुति उपरोक्त मंत्र से और घृत से इस मंत्र के द्वारा एक हजार आहुतियाँ देवे| भस्म पर सात बार इस मंत्र को पढ़कर नाभि तक जल में गाँव आदि की तरफ मुँह किये हुए खड़ा होकर इस मंत्र को जपता हुआ यदि जल में उस भस्म को फेंक दे तो उस गांव को रोग तथा वंद्य आदि भय की विपत्ति होवे। ॐवर वज्र पाणि पातरा वजं सुरपति राज्ञापयति हुं फट ठः ठः॥ क्षेत्र क्षेत्रंद्र दिग्भाग मृक्षतं कुलिशं क्षिपेत, मंत्रणा प्राङमुरखो यत्र तत्र स्यात् सस्य संक्षयः ||१०५॥ इस मंत्र से पूर्व की तरफ मुख करके जिस खेत या किसान के खेत के भाग में मृक्षत वज फेंका जाता है वहाँ के धान्य नष्ट हो जाते है। पणया गारे क्षिपेद् यत्र वजं दत्तं तेन मंत्रितं, तत्र पणय क्षय: स्यात तदऽपनीति प्रतिक्रिया: ।।१०६॥ इस मंत्र से मंत्रित करके जिस पणयागार (दुकान) में वज फैंका जाता है वह दुकान भी नष्ट हो जाती है उसका प्रतिकार उस वन की बुरी नीति है। काकांडरस संलिप्त मल्लकस्थ सकृत् नरः, रवायते वायसैश्चचच्चां कंता दिन रवरैः रवरैः ॥१०७॥ जिस पुरुष के सिर पर कौए के अंडे के रस का लेपएक बार कर दिया जाए तो उसको कौए नाखूनों से फाड़ फाड़कर चोंच से खा जाते हैं। ॥१०८॥ कृष्णा काका सृजा यस्य नाम भूत दलैपिते, निवेश्यते सकत्मप्ये सः काकैः रवायते मुहुः STERDISSIOTSTOISE525७८६PIDIOTECISIOTSIRISTRITICISE
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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