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CSIRIRCISIODICISIOTE विधानुशासन DSDISCISIOTECTERIST
अग्नि मंडल मध्यस्थोरेफै ज्वाला शताकुलैः सर्वांग देशगै ध्यात्वात्मानं दग्ध वपुर्मलं
॥२॥ फिर अपने को सैंकड़ो ज्याला निकलते रेफ स्वरूप अग्निमंडल के बीच में बैठा हुवा ध्यान करके विचार करे कि मेरे सब अंगो कमल उस अग्नि जे जला जा रहा है। अथवा
वन्हि मंडल मध्दास्थो वायुना पूरकेनच प्रणवेणामलं देहे शोषयित्वांमुना दहेत्
॥३॥ अथया ऐसा ध्यान करे कि अग्नि मंडल के बीच में बैठा हुआ पूरक प्राणायाम के द्वारा वायु को खींचकर कार के ध्यान से देह के मल को जलावें।
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