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________________ SRISTRISTRISADSOS विधानुशासन 5THSTORISROI512555 स्नहि जाति पूतिका श्यामा कथितेनेश पल्लवै जयेत्यु दर्श नमष्टा दश कुष्टान गोमूत्र सं पिष्टौ 11८८॥ थूहर चमेली पूतिका (बावची) श्यामा ( ) के पत्तों को गौमूत्र में पीसकर काथ बनाकर लेप करने से १९ प्रकार के कुष्ट (कोढ़) को जीतता है। लोह रजो रजनि शिला तालार्क क्षीर सी रिभिः पर्क, तैलं किलासरिवलं निर्मूल लुंपते विपुलं ॥८९॥ लोह चूर्ण हल्दी मेनसिल हरताल आक का दूध और सीरी (मोर्टी डाभ) में पकाया हुआ तेल सम्पूर्ण किलास (छोटे कोढ़) को जड़ से नष्ट करता है। ॐकामले ब्रह्मणे सत्यवादिनि भविष्यसिदधितके विरुपेअंतर कामं कामिले फुः ठः ठः॥ सिद्धेन सहस्त्र जपात् कामिल मंत्रेण मंत्रितैर मुना, शलिलैः शशिर विहितः पानादिः कामलां हरति ॥९०॥ एक हजार जप से सिद्धगिये हुए इस कानका मंत्र से अभिमंत्रित जल को शिशिर (गिलोय) के द्वारा पीने से कामला (पीलिया) रोग नष्ट हो जाता है। चूर्णने निशा धायाः क्षीरेणा च विमिश्रिते प्रगे पीतः, स्वाच्च गुड़ ची स्व रस सुपानिनां हित करो नणां ॥११॥ हल्दी और आमले के चूर्ण को दूध में मिलाकर प्रातःकाल के समय पीने से तथा गिलोय के स्वरस को पीने से मनुष्यों को कामला रोग में हित होता है। छायोपि निष्क श्रृंठया द्विनिष्क ताड़ जटायाश्च, पीतौ हरति दिनादौ सकलान्नपि कामला रोगान् ॥९२॥ सोंठ एक निष्क (४मासे) ताड़ की जटा दो निष्क (९ मासे) के काथ को प्रातःकाल के समय पीने से सब प्रकार के कामला रोग नष्ट हो जाते है। अजटाया सदा यातः कल्को जयति कामला, रसो वा भंगराजस्य निशिक्तो भूरि मूधिनि ॥९३॥ अजटा (भूई आंवला) को सूघने से भी कमला रोग जीता जाता है अथवा भृगराज (भांगरा) के रस को बार बार सिर पर डालने से भी लाभ होता है। CISIO512505251525७५३ PISIRSI21525135510551015
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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