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SASICISIOTICISIOISTRICT विद्यामुशासन HSDISCISIOTICISIONSI
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लांतं टांत वहि: स्वर प्रणमणं जांतं विद्योमंडलं, मध्ये नाम विलिरव्य तज्वर जलेसंक्षिप गंधांन्वितै ॥२३॥ शीते चोष्ण जलेसचोष्णामपि तत् शीते जलेन
क्षिपेद हद्भाष्यमिदं महा ज्वर हरं यंत्रं सुरेंद्रार्चित ॥२४॥ बीज में नाम लिखकर लांत (व) टांत (ठ) से फिर बाहर स्यरों फिर प्रणमण (ॐ) फिर जांतं (झ)
और चंद्र मंडल से वेष्ठित करे। यह यंत्र चंदन युक्त शीतल जल में रखने से यह उष्ण ज्वर को नष्ट करता है तथा उष्ण जल में रखने से शीतल ज्वर को नष्ट करता है। अरहंत भगवान के समान भावना पूर्वक कहा हुआ यह ज्वर हर यंत्र देवेन्द्र से भी पूजा जाता है।
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ලසකලකල ලලල ලා කටටමකට ලක්