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SDOISSISTOISTRISTO विद्यानुशासन VSDESIRISTOTSDISTRIES
टोषां शिरीष शाकका सिद्धं निपीय वृष गरले
कुद्रिक विमल स्वांगी रूचि कुष्ट शोफ युते ॥१०॥ जो सिरस और शाक (सागवान) के क्वाथ में () स्वांगरूचि अपनी रूचि के अनुसार कूट को और शोफयुत (भिलावे सहित, हो सिद्ध करके तीमार रेचकापलाटालेते हैं। उनको बैल के विष का कष्ट नहीं होता है।
द्रवंति कंद सहिताया विलेपी विषान्विता सा भुक्ता मूषिक क्येलाद्रक्षितुं प्रभवेन्नरः
॥१०१॥ द्रवंति कंद को विलेपी(दाल चावल जल पकाकर गाढ़ा करके पीने को कहते हैं) और विष सहित खाकर पुरुष चूहे के विष से रक्षा कर सकता है।
मूषिक विष हर मंत्रं सिद्धं तुंडी शिफा भवेत्
का अशितं कौशातक फल जल संयुक्तोथ धान्याष्टौ ॥१०२ ॥ सुंडी की जटा के हाथ को कौशातक फल (कड़वी तोरई) को जल सहित आठों धान्यों को खाना चूहे के विष को नष्ट करने याला मंत्र है।
स्नुक दुग्ध त्रिफला समवार्ताक शिफा रजः कृता ।
गुलिका क्षुणामुक्ता माज्येजाय ग्रासेन वृष विषजित् ॥१०३!! कुत्ते का दूध त्रिफला और इनके बराबर वार्ता की (वरंहटा ७ कटेली) की जड़ के चूर्ण की बनी हुयी गोली को भोजन के समय पहले ग्रास में घी के सात खाने से बैल का विष जीता जाता है।
लवणोदकेन सिक्तौ विंगत तुषैश्चपितै गुडोमिश्रः
जग्धैःस्तिरलैर रोचक सहितं मूषिक विषं न स्येत् ॥१०४॥ नमकीन जल से भीगे हुए बिना छिलके के गुड़ मिले हुए तिल और अरोचक चूर्ण को खाने से चूहों का विष नष्ट हो जाता है।
मुस्ता चूर्णपतोपेतलीठ माखु विषापहं नस्यतेऽय सहव्योषैः कपित्थ दल वारिभिः
॥१०५॥ मुस्ता (नागरमोथा) के चूर्ण को घृत में मिलाकर चाटने से चूहों का विष नष्ट होता है तथा व्योष (सोंठ, मिरच, पीपल) में कपित्थ (कैथ काथौड़ी) के पत्तों के रस का नस्य लेने से भी विष नष्ट हो जाता है।
भावनं श्रुक वृक्षस्य सारेण च फलेन च पिष्टाभ्यां वारिणा सर्व वृष क्ष्वेल निसूदन
॥१०६॥ S5I050SIRIDIO152151075[७०९ PISXE5125DISTRISTOT5125