________________
OOPSer 15905915 विद्यानुशासन 595959595295
कूट हरताल मेनसिल को सुरसांबु (लाल तुलसी) के रस के साथ पीने को देने से यह चूहों के सम्पूर्णविष को अच्छा कर देता है।
कपित्थ पल्लवोद्भूतः स्वरसो मधुनायुतः निपीतो मूषिकानां च लूतानां च विषं जयेत
॥ ८२ ॥
कपित्थ ) कैथ) के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से चूहों और लूतो ( मकडियों) का विष जीता ताता है।
गोमय कपित्थ पत्र स्वरसैः कटु दुग्धिकरांबुना पीतं वृष विष जित्तिफलावा सगुडा सप्तमा लीठा
॥ ८३ ॥
गोबर और कैथ के पत्तों के स्वरस को कड़वी दूधी के रस के साथ पीने से अथवा त्रिफला (हरड़े बहेड़ा आमला) और गुड को घृत के साथ चाटने से बैल का विष जीता जाता है । तैलापेतः पीतः काप्पांसि दलोद्भवः प्रागे स्वरसः
विष ह्रत वाय वाता पिच्छ शिफाथ च व्य शिफा
॥ ८४ ॥
कपास के पत्तों के स्वरस को प्रातः काल में तेल के साथ पीने से अथवा खारे नमक के साथ ता पिच्छ (तमाल वृक्ष) और चव्य की शिफा (जड़) को सेवन करने से बैल का विष नष्ट हो जाता है।
तुंव्या बुक्षुणया रात्रिमेकामध्युषितं पिबेत् प्रातः शितं भवेदे तत परमाखु विषापहं
॥ ८५ ॥
तुंबी के एक रातभर रखे हुए जल को प्रातःकाल पीने से चूहों का विष नष्ट हो जाता है।
पीतं हरति मंजर्या: कुडल्याश्च शिफाद्वयं जलेन कथितं रक्षेदावु दंश विषातुरं
॥ ८६ ॥
मंजरी (गंध तुलसी) और कुंडली (अमलतास) की दोनों जड़ो को जल में बने हुए क्काथ को पीते ही चूहों के विष से पीड़ित की रक्षा होती है ।
काथां कुकुंभवल्कोत्थः प्रातः पीतो विषं हरेत् वार्ष घाणेपित स्तैलेनाग्रि के स्वरसेऽथवा
॥ ८७ ॥
कुकुम अर्जुन वृक्ष की वक्कल को प्रातः काल में पीने से अथवा अग्रिक (चित्रक) पेड़ के स्वरस वर्ष (भाप) को तेल के साथ नाक में डालने से विष नष्ट हो जाता है ।
PSPSPSPSPSS95. ७०६ PSPSPSSPPSPa