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________________ 959595951 विधानुशासन 959595905 खंड सिता कदलि फल मागधी का चूर्ण संयुतं पीतं क्षीरे सुरभिः शमयति भूषक विष भवांवाद्यां खांड शक्कर केले की फली और मागधी (पीपल) के चूर्ण को दूध के साथ पीने से चूहों से होने वाला || 14 || कष्ट दूर हो जाता है। बीजानि शर पुरवाया: कल्की कृतानियाः तक्रेण भवेत् तस्य विषं मूषिक जोद्भवं || 1949 || जो पुरुष मट्टे के साथ कल्क बनाये हुए सरफोंका के बीजों को पीता है उसको चूहों का विष नहीं चढता है। बिंबीत्रपुषभूतं महिषी तक्रेण तंदुलं पीत्वा पुन्नाग तंदुलं वाखाय तैलाक्त आताप विषै तिष्टेत् || 196 11 बिंबी (कन्दूरी) त्रपुष (ककडी या फूट ककड़ी) भूत (नागरमोथा) और चावलों को भैंस की तक्र के सात पीवे अथवा पुन्नाग (सफेद कमल) और चावलों को खारे नमक और तेल में भी गीला करके भरे के विष में । अचिरादिवो दर गतां . वोशिशशवं पुरातने स्तेन मूषिक दष्टस्य मुखार्द्वि निग्रामं कुर्वते सर्वे ।। ७९ ।। पेट में जाने पर चूहों के सब प्रकार के विषों को नष्ट करता है। चूहों का पुराना मुख से काटा हुआ सब प्रकार का विष निकल जाता है। आखु गरलं विनश्येत् सद्यः पीतै धृतशर्करा मूलैस्तिलस्य तिलकस्यांकोल स्यांग कन्याश्च ॥ ८० ॥ तिलतिलक अंकोल और घी कुमारी के मूलों को घी और शक्कर के साथ पीने से चूहों का विष शीघ्र ही नष्ट हो जाता है । कुष्ट ताल शिलां भूयो भावितां सुरसां बुना दत्तां पातुं चिकित्सति निःशेषं मौषिकं विषं 050505152525956. 152/50: あらたらどう ॥ ८१ ॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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