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________________ CASIRISTOISTOISEASTH विधानुन DISSISTSTORISISTRICT १७. जिसके मध्य भाग में फट् का प्रयोग हो उसे मूर्च्छित कहते हैं। फल-x १८. जिसके विराम स्थान में अस्त्र ( फट् ) का प्रयोग हो वह हतवीर्य कहा गया है। फल-x १९. जिस मंत्र के आदि मध्य और अन्त में अस्त्र ( फट) का प्रयोग हो तो उसे भ्रान्त जानना चाहिये। फल-x २०. जो मंत्र अट्ठारह अथवा बीस अक्षर वाला होकर काम बीज क्लीं से युक्त होकर साथ ही उसमें हृदय, लेख और अंकुश के भी बीज हों तो उसे प्रथ्वस्त कहा गया है। फल-x २१. सात अक्षर वाला मंत्र बालक कहलाता है। फल-x २२. आठ अक्षर वाला मंत्र कुमार कहलाता है। फल-x २३. सोलह अक्षर वाला मंत्र युवा कहलाता है। फल -x २४. चौबीस अक्षरों वाला मंत्र प्रौढ़ कहलाता है। फल -x २५. बीस, चौसठ, सौ चार सौ अक्षरों वाला मंत्र वृद्ध कहलाता है। फल -x २६. प्रणव सहित नवार्ण मंत्र को निस्त्रिंश कहते हैं। फल -x २७.जिसके अन्त में हृदय ( नमः) कहा गया हो, मध्य में शिरो...(स्वाहा ) का उच्चारण होता हो, और अन्त में शिखा वषट्का वर्म (हुं) नेत्र (वौषद्) और अस्त्र ( फट् ) देखे जाते हों, शिव एवं शक्ति से हीन हों, उस मंत्र को निर्जीव कहते हैं। फल-x २८. जिस मंत्र के आदि, मध्य और अन्त में छ: बार फट्का प्रयोग देखा जाता हो, वह मंत्र सिद्ध हीन होता है। फल-x २९. पाँच अक्षर के मंत्र को मन्द कहते हैं। फल-x 05123510051065015100507 ६० PISOD5015015015015DIST
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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