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SSCI50150150151275 विद्यानुशासन VS01510050SOISODE
कूर दना सहितं दत्वोत्तम जातटोषु नरंगे न्यस्य,
पकारं धवलं उकारं मरि वेष्टितं करे वामे ॥१९८॥ उत्तम अंग अर्थात सिर पर पकाये हुवे चावल और दही रखकर बायें हाथ में ठकार से वेष्टित श्वेतवर्ण के पकार की स्थापना करे।
इंकार युतं शून्यं सप्तम वर्गा द्वितीय के उपरि, अमृतेन भूषित शिरों मया बीजं तथा भणितं
॥११९॥ फिर ईकार सहित शून्य अर्थात् हकार के आगे सातवें वर्ग का दूसरा अक्षार रकार लगाकर अमृत बिन्दु से शोभित माया बीज ही को बनावे।
ही तत्व स्यपुनर्जल्पतु दष्टो तिष्टेति देहि पानीटां,
श्वत्वेति सलिल भांडं प्रगृह्यदते स तस्यां वमनं ॥१२०॥ फिर बार-बार इस ह्रीं का उच्चारण करके इसे हुए को बैठने को कहे तब वह इसा हुआ पुरूष जल मांगता है। यह सुनकर उसको पानी के बर्तन में लेकर जल दे देवे इससे उसको तुरन्त यमन हो जाएगी।
अष्टम वग्गांत्यांक्षर दशम स्वर योजितं पवन बीजं,
षष्टम स्वरोद्यर्तिभ्राम्यत् तूर्णं परि न्यस्य ॥१२१॥ फिर आंठवे वर्ग के अंतिम अक्षर हकार में दसवाँ स्वरल लगाकर ह्ल बनावे फिर पवन बीज यकार में छठा स्वर ॐ को मिलाकर यूँ बनावे। इन ह और यूँ बीजों को आधी बत्ती की तरह जल्दी-जल्दी घुमाता हुआ रख देये।
झौविस्फुरदेतत्संथिषु विन्यस्यति यत्र यत्र दष्टस्टा, तत् तम्तयति तरां करतल हत चाप शब्देन
॥१२२॥ प्रकाशित होते हुए झौं बीज का डसे हुए के जिस जिस अंगो के जोड़ में लगाता है। यही वही अंग तबले के शब्द के समान खूब नायता है।
चिंतयतैत दपि पुनः भ्राम्यन्यति तस्य शिरसि दष्टस्य,
हस्त स्वानं च वदैत त श्रुत्वा तिष्ठाति क्षिपं ॥१२३॥ फिर इस झौं बीज को डसे हुए के सिर में भी ध्यान करे इससे वह सिर गिराकर भी हिलाने लगताहै। फिर उससे कहे कि हाथ का स्यान (शब्द) बतलाओ वह यह सुनकर शीघ्र ही बैठ जाता है फिर उससे कहे।
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