________________
PSPPSP59595 विद्यानुशासन 9/595905969695
यदि दूत अग्नि (पूर्व दक्षिण कोण) यम (दक्षिण) नैऋति (दक्षिण पश्चिम) वायु कोण में हो तो उस सर्प से काटे हुए पुरुष का शीघ्र ही यमपुरी में वास होये अर्थात् मर जाएगा।
विधि महादिशि दूते स्थित वति दवकरेण दष्ट इति, विदिशि तु मंडलिना दिग् विदिशोर्मध्ये राजिमता
।। ४२ ।।
यदि
दूत विधि (उत्तर) महादिशा में खड़ा हो तो दर्विकर सर्प से काटा हुआ है। अगर विदिशा में खडा हुआ हो तो मंडली सर्प से इसा हुआ है और अगर दिशा और विदिशाओं के बीच में खड़ा हुआ होवे तोराजिल सर्प से काटा हुआ है, ऐसा बतलावे
पृष्टायदि वामांधी स्थितं स्त्रिया दष्टकं त म व गच्छेत, अन्यत्र तु पुंसा त द्वितीयेतु नपुसंकेन सर्पेण
॥ ४३ ॥
यदि पूछने वाला बाएँ पैर से खड़ा हो तो सर्प से इसे हुए पुरुष को नागिन से काटा हुआ बतलावे, यदि दाहिने पैर से खड़ा हुआ हो तो उसे पुरुषनाग से काटा हुआ जाने, और यदि दूत दोनों पर समान बल देकर खड़ा हुआ हो तो उसे नपुंसक सर्प से काटा हुआ जाने !
दूतस्य मंत्रिणो वा वहेदिला पिंगला द्वयं वा चेत्, स्त्री पुं नपुंसकैस्तं क्रमेणं दष्टं विजानीयात्
।। ४४ ।।
अथवा दूत या मंत्री की इडा नाडी (चन्द्र स्वर) चलता हो तो स्त्रीनाग और पिंगला नाडी (सूर्य स्वर ) चलता हो तो पुरुष नाग अथवा यदि दोनों नाडियाँ चलती हो तो उसको नपुंसक नाग से काटा हुआ जाने !
यदि दूत जाने ।
वामो चरणात पुरतोहि दक्षिणचरणं निधाय यदि दूतः, कथयति वातों दष्टं पुरुषं विद्यात्स जीवति च बाँये चरण के आगे दाहिना पैर रखकर बात कहे तो काटे हुए को पुरुष
अथ दक्षिणस्य पूरतो वामं चरणं निधाय यदि दूतः, कथयति वार्ता दष्टा स्त्री स्याज्जीवे च साबनिता
॥ ४५ ॥
और जीता हुआ
॥ ४६ ॥
यदि दूत दाहिने पैर के आगे बाँया पैर को रखकर बात कहे तो काटी हुयी को स्त्री और जीती हुयी
जाने ।
दूता गति बेलायां तस्मिन् पार्श्वेनभ स्वतो बाहूः, तस्मात पार्श्वेस्मिन दंशं मंत्री विजानीयात्
959591595959595 १२ 9969599
॥ ४७ ॥