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व्याधि युतीत गत कर्ण कर नासा
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स्तस्युर हिभक्षित नृणाम शुभ इताः खुले हुये बाल खाली हाथ वाले दूसरे कुलवाले नपुंसक दंड धनुष या अस्त्र धारण करने वालेमुंडे हुवे सिरवाले रोगी डरे हुए-बूचे (जिसके कान कट गये हो) लूले वन कटे आदमी सर्प से काटे हुए के अशुभ दूत होते हैं।
शुभ दूत शुभ तर वस्त्र कृतकाय परिशोभा दर्भा सित पुष्प फल पत्र धृत हस्ताः, एक कुलरूप परिपूर्ण तर यात्रा भोगि गरलार्द्वितस्य शुभदूताः ॥ ३१ ॥ अत्यंत उज्जवल वस्त्रों से अपने शरीर को सजाये हुए दाभ वाले फूल फल या पत्र (पत्तों) को हाथ में धारण करने वाले जिनका कुल और शरीर का रूप सर्प से काटे हुये प्राणी से अत्यंत मिलता हुआ हो ऐसे पुरूष सर्प विष से पीड़ित प्राणी के शुभ दूत होते है ।
सम विषमाक्षर भाषिणि दूते शशि दिनकरे च वहमाने, दष्टस्य जीवितव्यं तद्विपरीते मृतिं विंधात्
॥ ३२ ॥
'समझना'
यदि सर्प से काटे जाने की खबर लाने वाला दूत चन्द्र स्वर में सम अक्षर कहे तो चाहिये कि सर्प काटा हुआ प्राणी जीवित आएगा। यदि दूत सूर्य स्वर में विषम अक्षर कहे तो मृत्यु समझनी चाहिये ।
दूत मुखो स्थित वर्णान द्विगुणी कृत्य त्रिभिर्हरेद्भांग, एक द्विकेन जिवति दष्टो मियतेय शून्येन
॥ ३३ ॥
बुद्धिमान पुरुष दूत के मुख से निकले हुए अक्षरों को गिनकर और फिर दुगुना करके तीन भाग का दे । यदि एक या दो शेष बचे तो जीवित तथा शून्य बचने पर मृत्यु को प्राप्त होने वाला समझे ।
चत्वारो वर्गानां मरुदग्रीं द्रां बुयो तथा वर्णाः, अनुनाशि काननस्या स्वरा स्तुशक्रां बु संभूताः
॥ ३४ ॥
चारो वर्गो में से वायु, अग्नि, इन्द्र और जल यानि वाले वर्ण होते हैं। अनुनासिक इन्द्र योनि बाले और स्वर जल योनि वाले होते हैं।
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