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________________ CHOICICISISTOHIRE विद्यानुशासन ASIDASIOTICISIOISTORY बाईं ओर के दांतो के नाम काल रात्रि और यम दूती है। यह दांत क्रम से ऊपर और नीचे होते हैं। तामसो नधमश्च स्यात् कार्तिक मासि जातवान, बलवान मार्गशीर्ष स्यात पोषे दीर्णे विषोल्वणः ॥ २५॥ कार्तिक में पैदा हुआ नाग तमोगुण वाला और सुस्त होता है मार्गशीर्ष मास में पैदा हुआ नाग बलयान होता है और पोष में पैदा हुआ नाग बड़ा तथा तेज विषवाला होता है। पुरूषस्य भुजंगस्य वासरे स्यान्महाबलः, स्त्रियो निशायां संध्यायां बलियामस्या नपुंसक: ॥ २६॥ पुरुष नागों की बलि का समय दिन है स्त्री की बलि का समय रात तथा नपुंसक नाग की बलि का समय सायंकाल होता है। बलं बालस्टा पूर्वान्हे मध्यान्हे मध्टा मस्यतु, अपरान्हे तु वृद्धं स्यात्य वनाशिनां ॥२७॥ बालक जाग की बलि का समय दोपहर से पहले युता की मध्यान्ह में और वृद्धनाग की बलि दोपहर ढलने पर दी जाती है। वृद्ध नाग बहुत हानि करने वाला होता है। संग्रह के दस उपाय दूताहि स्थान तारादि नागेशोदय सूचकां, विषाणि दंशे ममाणि वेगो वयव वेष्टितं ॥२८॥ दूत-सर्प के स्थान-तारा आदि नागों के निकलने का समय-सूचक-शकुन-नाग के विष काटने के स्थान-मर्म-सर्प विष का वेग और अवस्था दशैते संग्रहोपायास्ते स्तत्र कमशोमताः, परोक्ष सत्या विषयां पंचपंच प्रत्यक्ष गोचरा: ॥२९॥ इस संग्रह के दस उपाय हैं इनमें से पांच परोक्ष को जानने वाले और पांच प्रत्यक्ष को जानने वाले होते हैं। अशुभ दूत मुक्तक च रिक्त करः भिन्न कुले षंठा दंड धनु रस्त्र घर मुंडित शिर स्काः , Q5GGDog PERSONGS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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