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95959595952 विधानुशासन 95959595591
देव्य चन जप नियम ध्यानानुष्ठान होम रहितोपि,
श्री ज्वालिनी मतज्ञो यद्वक्तिं पदं तदेव मंत्रः स्यात्
॥ ८८ ॥
देवी की
पूजा जप ध्यान अनुष्ठान और होम से रहित होने पर भी श्री ज्वालामालिनी देवी के सिद्धान्त को जानने याला जो पद कहता है वही मंत्र हो जाता है।
विनयं पिंडं देवीं स्व पंच तत्व निरोध बीजं च, ज्ञात्वोपदेश गर्भ यद्वक्ति पदं तदेव मंत्रस्यात्
।। ८९ ।।
विनय पिंड देवी के स्व पंच तत्व को निरोध सहित जानकर मंत्री जो पद कहता है वही मंत्र हो जाता है अर्थात् निम्नलिखित मंत्र सब काम देता है।
ॐ दम्ल्यू ज्वालामालिनी क्षां क्षीं क्षं क्षौं क्षः हा दुष्ट ग्रहान स्तंभय स्तंभा ठः ठः हां आं कों क्षीं ज्वालामालिन्य ज्ञापयति हुं फट घे घे ॥ सर्वत्र योजनीयं
अजपिंड देवता पंच बाण निजतत्व पंचक निरोधः, स्वेष्ट निरोध पदैः सह जयति समस्त ग्रहान मंत्री
॥ ९० ॥
ॐ पिंड देयता के पांच बाण स्वपंच तत्व निरोध पदों और इष्ट निरोध पदों से युक्त मंत्र से मंत्री सभी ग्रहों को जीत लेता है ।
ॐ क्ष्ल्यू ज्वालामालिनी ह्रीं क्लीं ब्लूं द्रां द्रीं क्षां क्षीं क्षूं क्षौं क्षः हाः सर्व दुष्ट ग्रहान स्तंभय - स्तंभय ठः ठः हां आं क्रों क्षीं ज्वालामालिन्या झापयति हुं फट घे घे ॥ इत्यादि सर्वत्र ज्ञात
उपदेशान्मंत्र गतिः मंत्रैः रूपदेश वर्जितैः किं क्रियते मंत्री, ज्वालामालिन्यऽधिकृत कल्पोदितः सत्यः ॥ ९१ ॥
मंत्र बिना उपदेश के नहीं रह सकते और बिना उपदेश पाये कुछ किया भी नहीं जा सकता किन्तु ज्वालामालिनी कल्प के बताये हुये मंत्र पूर्णरूप से सत्य है ।
विनयादि देवता पिंड तत्व नवकं विरोध शून्य युतं, वया कृष्टोच्चाटन मारण बीजानि मणि विद्या
॥ ९२ ॥
ॐ ज्वालमालिनी क्ष्म्ल्यू हल्यूं भ्म् म्म म्यूँ रम्ल्यू छल्यूँ इम्यू खल्व यूं छल्वयूँ ठ्रम्ल्वर्यू क्ल्यूं ह्रीं क्लीं ब्लूं द्रां द्रीं हां आं कों क्षीं हाः वषट् संवौषट् हुं फट ये थे ।
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