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9695959595951 विधानुशासन 959595959591
पंच वर्ण दनं सूप राज माषं कृतां हविः, निम्न पात्रे लोह मये निधायैतानि विस्तृते
प्रतिमां द्यापि पलतः कृतां स्वर्णमयी मऽपि, नील वस्त्र युगच्यामऽवस्थाप्याऽर्चिताऽपि गंधादिभिः सुगंधन कंकोले नापि लेपितां, आहुतिभिस्तथा ताभिर्जात वेदसि सं यतः
जुहुयान्मंत्र विन्मंत्री पूर्वोक्तर्वस्तुभिः सदा अर्थादये रये गृहत् पूर्व दिक त्रिपथांतरे
त्रिवारं बलिं देयात्कृत्वा भू शुद्धि मंभसा, सिद्धार्थ निंब पत्रैश्च धूपोदेय : शिशोस्ततः
अभिषिंचेत् तरों पंच पल्लवोदक धारया, बले विधानेना नेन वाहिनी तं विमुंचति
चैत्यालये ब्रह्मादेव मंबिकां च पुरोहितै:, यशुभिः पूजयेत्सर्वान्ं नान्यथा नहि मोचनं
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मंत्रिकांचापि विविधैः परिष्कुर्वीत वस्तुभिः प्राण प्रदायिनां लोके का वा स्यात्प्रत्युप क्रिया ॐ नमो वाहिनी एहि एहि बलिं गृह गृह मुंच मुंध बालकं स्वाहा ॥
बारहवें वर्ष में बालक को वाहिनी नाम की देवी पकड़ती है। उसे पकड़े जाने पर बालक का मुख सब तरफ से सूख जाता है। वह थका हुआ और उल्टी भी करता है। उसकी औषधि आदि से सिर को दोनों तरफ गिराता है और उल्टी भी करता है। उसकी औषधि आदि से चिकित्सा कही जाती है- पाँच रंग के भात, दाल, लोभिये से बनाया होम द्रव्य को लोहे के एक बड़े तथा गहरे बर्तन में रखकर उस पर धार तोले सोने की बनवायी हुई प्रतिमा को दो नीले वस्त्रों से ढँककर चंदन, धूप, फूलमाला, पान आदि से पूजन करे, तथा शीतल चीनी से लेप की हुयी प्रतिमा को रखकर अग्नि में आहुतियाँ देकर मंत्र को जानने याला मंत्री पहले कही हुयी वस्तुओं से होम करके, सूर्योदय के समय घर से पूर्व दिशा के भाग में तिराहे पर पृथ्वी को जल से शुद्ध करके तीन दिन तक बलि QSP5b ५३६ PPSC
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うどちらでおぐり
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