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STERISODEISEX505 विद्यानुशासन 150152SDISTRISOTES
पंचम मास
पंच मास वयस्टांत मा ददात्यंबुजानना तया गृहीत मात्रेण शरीरं कनक प्रभं
||१३७ !!
सीदंति सर्व गात्राणि मुखं च परिशुष्यिति क्षीरं पिबति विश्रष्चरोदित्याऽपि मुहमहः
॥१३८॥
उदनं पायसं चैव दधिकं कसरं तथा पूरिकां धारिकां वैव कुल्माषं सतं तथा
॥१३९।।
दक्षिणां दिशमासृत्या सप्त रात्रं बलि न्यसेत
एवं कुयात्प्रयत्नेन मंत्र वादी समंत्रकं । ||१४०॥ ॐ नमो भगवति अबुजानने देवि सर्वरोग कारिणी सर्व भक्त प्रिये मुंच मुंच दह दह एहि एहि ह्रीं ह्रीं क्रौं क्रौं इमं बालं रक्ष रक्ष बलिं गन्ह गन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा। पाँचवें मास में बालक को अंधुजानना नाम की गृही के पकड़ने पर उसका शरीर सोने जैसा रंग का पीला पड़ जाता है। बालक के सब अंग दुखने लगते है; उसका मुख्य सूख जाता है। वह बहुत कठिनता से दूध पीता है और बार बार रोता है। उसके लिये भात खीर दही लियडी पूरियाँ कचोरी कुलथी और घी की बलि को दक्षिण दिशा की तरफ सात रात्री तक दे। इसप्रकार मंत्र वादी यत्नपूर्वक मंत्र जपता हुआ करें।
छोटे मास
षणमास जातं गन्हीते दीनास्था नामिका ग्रही तया गृहीत मात्रंस्तु तु रोदति स्फुट मेवत
॥१४१॥
मुरखे शोषश्च विश्रचं क्षीरपानं च जायते कुक्षि शूल स्तु तस्या श्चबलिं मैंव निधापयेत्
।।१४२॥
॥१४३॥
सगंध गंध माल्यं च पंच वर्ण चर तथा
तिलस्य पक चूर्णं च माष कुल्माषमेयच STSORRISORTERSIOTE ४७१ DISTRICISIOISTOTSICISCASH