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________________ PSPSPSP5951 विधानुशासन 9595959596 ॐ नमो भगवती रेवंतिरूपे ऐहि ऐहि इमं बलिं गृन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा दूसरे मास बालक को रेवती नामकी ग्रही के पकड़ने पर बालक का रंग सोने की जैसी आभा वाला अर्थात् पीला पड़ जाता है। हाथ और पैर ठंड़े हो जाते है। गर्दन के पीछे की भाग टूट जाता है। मुख सूख जाता है और बालक दूध भी नहीं पीता है। यह चिन्ह दिखाई देते हैं तब खीर गन्ने का रस चंदनो और फूलों सहित बलि को सात रात तक दिशा की तरफ रखे, और नीम के पत्ते और नीम के फूल लरसन की धूप दे तथा तिलों के तेल का दीपक जलावे तब मंत्रपूर्वक बलि देने पर ही वह ग्रही बालक को छोड़ती है। तृतीय मास मुदमासित तदैवच पायसं चेक्षु दंडं च गंधं पुष्पादिकं बलिं सप्तरात्रं क्षिपेत् साथमुत्तर स्यादिशि ध्रुवं कुसुम निबं पत्राभ्यां लशुनेन च धूपयेत् दीपयेत् तिलतिर्लन त्रिमासं जातं गृहीते यामिनी नामि का ग्रही तदा स्यात् निष्टरो दः स्त्रावोमूत्रपुरीषयो लाजा चूर्ण च भाषाऽन्नं कदली फल मेवच रक्त चंदन से सिक्तं मृत्सरा येनिवेशितां अपरान्ह बलिं दद्यात् श्मशाने मंत्रपूर्वकं गुग्गुलं सर्वपं पचाऽपि नीरेण लोड्या लेपयेत् ॥ १२७ ॥ ॥ १२८ ॥ ॥ १२९ ॥ ॥ १३० ॥ सर्प निम्मोंक शार्दूल नरवाभ्यां धूपनं शिशोः एवं सप्तदिनं कुर्यात् ततो मुंचति सा गृही ॐ नमो भगवति यामिनी वज्रपाणी पीत भूषण प्रिय एहि एहि ह्रीं ह्रीं कौं क्रौं इमं बालं मुंध मुंच बलिं गृन्ह गृह स्वाहा । तीसरे महिने में बालक को यामिनी नाम की ग्रही पकड़ती है तब बालक बहुत निष्ठरता से रोता है। दस्त आते हैं और पेशाब भी बहुत होता है। उसके लिये धान की खील की चूर्ण उड़द का अन्न केले का फल और लाल चंदन की बलि मट्टे के सराये में रखकर दोपहर ढ़लने पर श्मशान में मंत्रपूर्वक बलि दें। और गूगल सफेद सरसों को पानी में मथकर बालक के लेप करें। सर्प की कांचली और सिंह के नाखूनों की बालक को दें इसप्रकार सात दिन करने से वह ग्रही चालक को छोड़ देती है । 25252525252525 -- P/50525Y5252525
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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