________________
SSIONSIDEOISO150 विधानुशासन 75050510653150155 अठाइसवें दिन बालक को यदि नडाधारि नाम की देवी (मही) पकड़े तो बालक सदा ही हंसता रहता है। और बहुत घबड़ाहट पैदा होती है। उसके लिये तिलों का चूर्ण उड़द का भोजन और कोदों की दाल की बलि को सायंकाल के समय श्मशान में मंत्रपूर्वक रखे। सफेद सरसों गाय को सींग और गोमूत्र का बालक के लेप करे तथा गूगल और पिच्छ नाली (बेल के पूछ के व्यालों) की धूप दें। तो वह सही शांत हो जाता है।
ॐनमो भगवति नड़धरि देवी ऐहि ऐहि ह्रीं ह्रीं क्रौं क्रौं ईश्वर नत्य प्रिटो ईश्चराय ईश्वर इमं बालं मुंच मुंच बलिं गृह गन्ह स्याहा।
उन्तीसवें दिन की रक्षा
नव विंशत्यऽहोजातं गन्हीते शक्ति शाकिनी उर्द्धधासोज्वर श्वाऽथातदा स्याद्वहु विक्रिया
॥११२॥
माष पिष्टमय मेषं पत लिप्तं सपुष्पकं तऽचान्नं शाक संयुक्तं प्रात रुत्तरतःक्षिपेत
॥११३॥
कत्व गांमध सिद्धार्थ उपयंत गुज दंत युक
वचा केशौ च धूपः स्यात् ततौ बालः सुरवी भवेत ॥ ११४ ।। उन्तीसवें दिन बालक को शक्ति शाकिनी नाम की ग्राही पकड़े तो बालक उर्द्धश्वास ज्यर और बहुत प्रकार के विकार हो जाते हैं। उसके लिये उड़द के आटे का भेड़ को घृत से लेप करके पूष्प के साथ अन्न और शाक सहित प्रातःकाल के समय इस बलि को उत्तर दिशा में रखे । गाय के गोबर और सरसों का लेप करे और हाथी दात वच और बालों सहित बालक को चूर्ण दे तो बालक सुखी हो जायेगा।
ॐ नमो भगवित शक्तिशाकिनी महादेवी नीलग्रीवे जटाधरे ऐहि ऐहि ग्रहैसु शततं रक्ष्यमिमं बालं मुंच मुंच बलिं गृह गृह स्वाहा ||
.. तीसवें दिन की रक्षा
त्रिशाद्दिन यय स्यंतं गन्हीते शाजला ग्रही पटाकुंच न मुद्रेगो विकारा श्चाऽपर तथा
॥११५॥
Qಥಳಥಪಥಳಗಳಗgg Y೯೯
ಐ
ಪರಿಗಣಿ