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SASTD3505055101505 विधानुशासन 350150151215100DOIES
ॐनमो भगवति अंबिनी सर्व देवता प्रिये सर्व भक्ष प्रिये क्षेत्रपाल देवता रक्षिते बालं मुंच मुंच बलिं गृह गृह स्वाहा
पच्चीसवें दिन की रक्षा
पंच विशऽत्यहर्जात गन्हीते निधना ग्रही मुष्टि बंधः सवेपथुः तदोद्धस्वसनं भवेत्
॥१०१॥
कसरं दधि पलानं च श्मशाने त्वऽपरान्हके न्यसेत बलिं सुवर्णेन युक्तं मंत्री समंत्रक
॥१०२॥
वचा च श्रंगी निगुंडी पत्र चूर्णेन लेपटत् मात् पातुनरवं हिंगु धूपयेत्साप्रशाम्यति
॥१०३॥ पच्चीसवें दिन बालक को निधना नाम की सही के पकड़ने पर मुट्टी बंध जाती है। शरीर में कंप और ऊंचा श्वास आने लगता है। उसके लिये खिचड़ी दही पका हुआ अन्न और सोने की बलि को दोपहर ढलने पर मंत्री श्मशान में मंत्र सहित दे। यच श्रृंगी (अतीस काकड़ा सिंगी) निगुंडी के पत्तों का चूर्ण से लेप करे तथा बालक की माता और पिता के लासूनों और जगली पाक को देने से तब वह यही शांत हो जाती है।
ॐ नमो भगवति निधने इंद्रादि देवता रक्ष्यं बाल मुंच मुंच बलिं ग्रन्ह ग्रन्ह स्वाहा ॥
छब्बीसवें दिन की रक्षा
षड्विशति दिनं बालं समसे नाश्रयत्यम तदास्याद्वेपथु स्ताप आंकुचः पादहस्तयो:
॥१०४॥
कृत्वा पिष्टमट काकं रक्त चंदन सेवितं भक्तं पितृवने न्यसेत्सायान्हे मंत्रपूर्वकं
॥ १०५॥ छब्बीसवें दिन बालक को समसेना नाम की ग्रही के पकड़ने पर बालक कांपने लगता है। उसको ज्यर आ जाता है हाथ और पैर खींचते हुए मालूम होते हैं। उसके लिये पिट्टी का कौआ बनाकर उसपर लाल चंदन का लेप करें उसको कुछ भोजन के साथ श्मशान में सायंकाल के समय मंत्र पूर्वक रखे। CISIONSCIEDISCIET51555 ४६४ /5TORSCISSISTS5501505