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________________ MED/ಸENEGE AQAR 2 55 यदि बालक को आठवें दिन मधशासना नाम की ग्रह पकड़े तो बालक को ज्वर हो जाता है। सांस चलने लगती है हंसी आती है और वह जोर से रोता है। इसके उड़द धान और पाँचों प्रकार के भोजन को गांव के उत्तर की तरफ सांयकाल के समय मंत्रपूर्वक बलि दें हींग अजमोद लहसून सफेद सरसों का लेप करे तथा नख केश तथा लहसून से बालक को धूप दे। यंत्र भंग जल से स्नान करावे और देवी की कनेर के लाल फूल और अजमोद से पूजन करें तब वह ग्रही उस बालक को छोड़ देती है। ॐ नमो भगवती मधशासने गवण पूजितेही केसी चिंगलाक्षी लंबस्तानि शुष्क गात्रे ऐहि ऐहि ह्रीं ह्रीं कौं करें आवेशय आवेशय इमं गन्ह गन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा।। नवमें दिन की रक्षा नवाह जातं गन्हाति शास्त्री नाम ग्रही प्रजा ततोड़ श्वसनं मुष्टि बंध श्चोद्विग्नता कति ॥४८॥ पायसं माष भक्ष्यं च कसरं च बलिं तथा पूर्वस्यां दिशि साटान्हेन्यसेत् मंत्री स मंत्रक ॥४९॥ आमयतिऽति विषा वेत सर्षपं लसनं तथा लवंग त्वगऽजा मूत्रै पिष्टवा वालं प्रलेपयेत् ॥५०॥ केशे गोरोमतगर कुष्टै श्चाऽपि प्रधूपोत् एवं कृतः प्रतिकार बालं मुंचति सा ग्रही यदि गलक को नवे दिन शास्त्री नाम की सही पकड़े तो यह ऊँचा श्यास लेता है उसकी मुट्ठी गंध जाती है सूरत घबराई हुयी सी हो जाती है उसके लिये खीर उड़द का भोजन और खिचड़ी की बलि को पूर्व दिशा में सायंकाल के समय मंत्र पूर्वक दें आमय (कूठ) अतिविष (अतीस सफेद सरसो लहसून और लौंग की छाल को बकरी के मूत्र से पीसकर बालक के शरीर पर लेप करे।बाल और गाय के रोम तगर कूठ की धूप दें इसप्रकार करने से वह ग्रही बालक को छोड़ देती है। ॐनमो भगवतीशास्त्री रावण पूजिते दीर्य केशी पिंगलाक्षी लंब स्तनिशुष्कगात्रे ऐहि ऐहि ह्रीं ह्रीं क्रौं क्रौं आवेशय आवेशय इयं गन्ह गन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा।। SSETSID5103STRISTOTSIDE ४५४PISRISRISODRISTRISORI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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