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________________ 959696959951 विधानुशासन 959590595195 अनेन अयुत जप्तेन यक्षी मंत्रेण मंत्रितं औषधं सफलं वा स्यात् पीतः सद्यः प्रसूयते ॥ ३ ॥ इस यक्षी मंत्र को दस हजार बार जप करके इससे अभिमंत्रित की हुई औषधि को पिलाने से बच्चा हो जाता है। तुरन्त सिंचन गर्भ संवैश्म्ये सलिलै स्तेन मंत्रितैः तन्मंत्रेण च नियंति विषमाः शल्य कंटका: ॥ ४ ॥ इस मंत्र से अभिमंत्रित गरम जल से गर्भ को सींचने से विषम कष्ट तुरन्त दूर हो जाता है क्षां क्षीं क्षं क्षौं क्ष एतेन मंत्रितं पीतं जल पूतेन वात्मना सुरख प्रसूतये यद्वा भवेन् मंत्रितौषधं ॥५॥ इस मंत्र से अभिमंत्रित जल अथवा औषधि को पवित्र मनसे पीने से आसानी से बच्चा हो जाता है । ॐ एरंड वने काका गंगा तीरे समु स्थितादूतः पिबतु पानीयं विशल्या भवतु गर्भणी स्वाहा एतन्मंत्रित संभोरुद्धश्वासोद्गमस्य दूतस्य करे संपुटोदरगतं कृत्वा मंत्र जपेन्मंत्री श्वास निरोध व्याकुल देहो यावत् सत्तज्जलं मुंचेत् सा प्रसवे वेदनात निर्गत शल्या भवे तावत् ॥ ६ ॥ ॥ ८ ॥ प्रसव वेदना का समाचार लाने वाले दूत की अंजुली में जल देकर उसे श्वास रोकने की आज्ञा देकर मंत्री उपरोक्त मंत्र को जपना आरंभ कर देवे । भस्मना सूतिका नाम तत्व भुपूर मध्यगं लिखितं दर्शितं सद्यः फल कादौ प्रसूतया ॥७॥ श्वास को रोकने से व्याकुल शरीर वाला वह दूत जितनी देर में जल को भूमि में गिरा दे उतनी देर में ही गर्भनी का प्रसव का कष्ट दूर हो जाता है। VSM505 118 11 भस्म (राख) से गर्भिणी के नाम को लिखकर उसके चारों तरफ ह्रीं और फिर पृथ्वी मंडल लिखकर गर्भिणी को दिखावे तो तुरन्त ही बच्चा हो जाता है । 959595959PS ४२८ 95959595969
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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