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________________ 05015015015015105 विधानुशासन 9505015015015051 टोगामासेष्वं तं चन्नीनां गर्भतोदतुदः पिष्टापि च शीताभि शीरेणा लोडितानि मान्योगान स्वः स्वः मन्त्र जप्तवानि पायोद गाभणी मंत्री ॥२१॥ यह एक एक मास के योग है जिनको पीसकर दूध में घोलकर नियम से गर्भणी को देना चाहिये। मंत्री इन मंत्रों को अपने अपने मास के मंत्रों जप जप कर गर्भिणी को पिलावें। ॐ नमो भगवती विद्युत धारिणी गर्भ स्तंभिनी स्वाहा प्रथम मासस्य मंत्र। ॐ नमो भगवती गर्भाव धारिणी गर्भ विपते इमं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा द्वितीय मासस्य ॐ नमो भगवती जंभिके महाजंभिनी अति जंभे इमं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा ततीय मासस्य ॐ नमो भगवती गर्भधारिणी देव गंधर्व पूजिते जंभे इमं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा चतुर्थ मासस्य ॐ नमो भगवती विकट जयि जमिनी सर्वदुष्टनिवारणी ऐहि ऐहि इयं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा पंचम मासस्टा ॐ नमो भगवती आं ह्रीं को धरधारिणी वरदे ऐहि ऐहि इयं रक्ष रक्ष स्वाहा षष्ट मासस्य ॐ नमो भगवती आंहीं क्रों महा महा माये पेरण भणभणइमं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा सप्तम मासस्य ॐ नमो भगवती विछिके आं ह्रीं क्रों विलि विलि जंभे महाजंभे गर्भ श्राविणी ऐहि ऐहि इयं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा अष्टम मासस्य ॐ नमो भगवती जंभे मोहे महा मोहे स्वेत माल्याभरण भूषिते ह्रीं ह्रीं कों को ऐहि ऐहि इमं गर्भ रक्ष रक्ष स्वाहा नवम मासस्य ॐ नमो भगवती जंभिनी के संमोहिनी हीं ह्रीं क्रों कों पर घर वियते विदारिणी ऐहि ऐहि इमं गर्भ रक्षा रक्ष स्वाहा ॥ CASIOTSEYSICISTRICISCE ४१५ PISO15105075CIRCISION
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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