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________________ SSIPISIOSIRIDIOA5125 विद्यानुशासन ASTRI5015101512151055 लक्ष्मणो लक्ष्मणा प्रोक्ता द्विविद्या स्त्री पुमानित भवेद्वहुल पना स्त्री दीर्य पत्रा पुमान भवेत् ॥८॥ लक्ष्मणा का लदमणा ही नाम है वह दो प्रकार की होती है स्त्री भेद पुरुष भेद बहुत पत्तों वाली और बड़े पत्तों वाली पुरुष होती है। गर्भा बैंशु प्रयोगेषु गृहीया लक्ष्मणां स्त्रिया न घुमांसं घुमास्त्वां स्प गतः सं स्तंभय त्यऽसिं ||९|| गर्भार्थ प्रयोगों में स्त्री लक्ष्मणा को लावे तो पुरुष के वास्ते पुरूष लक्ष्मणा को लावे यह तलवार का स्तंभन करती है। ॐ नमो बलवती शुक्र यदिनी पुत्र जननी ठः ठः गौ क्षीरेणैक वर्णायाः कल्कितां लक्ष्मणां पिबेत् एतेन जप्तांगार्थ कुय्याद्वानावनं तथा ॥१०॥ उस लक्ष्मणा को एक वर्ण याली गाय के दूध में कल्क बनाकर यह मंत्र पढ़कर गर्भ के बारने पीए और उसको सूंघे लभते दक्षिणे धाणे पुत्र नावन कर्मणा वामे लक्ष्मणा या पुत्री मुभा स्मिन्नपुंसक ॥११॥ दाहिने स्वर में सूंघने से.पुत्र की प्राप्ति होती है बाये स्वर में संपने से पुत्री होती है। तथा सुष्मण (दोनों स्वर मिले हुये) में नपुसंक पुत्र होता है। ब्राही वासीऽमृता निंब कदम्ब दलजं रजं प्रातन्नि पीयंतैलेन बंध्यापि लभते सुतं ॥१२॥ ग्राही अरडूसा गिलोय नीम कदम्ब के पत्तों की दलू को तेल के साथ पीने से बंध्या को भी पुत्र प्राप्त हो जाता है। वटदुग्ध सकु गुलिका रखादेति सो पतेन संमिश्राः क्षीरेण पिवे पिष्टा श्री मूलं नवांकुरानऽथवा ॥१३॥ वड़ के दूध में सत्तु की तीन गोलियां धीमे मिलाकर खायें और श्री मूल बेतं की जड़ के नये अंकुरों को पीसकर दूध के साथ पीयें। SSCISRISTIONSCISIO51035 ४०३ PABISASTERSTISEASO2OS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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