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________________ S5015015015015105 विद्यानुशासन 950150150150150SS पिपलस्य युतं मूलं फल पल्लव वल्कलैः क्षीरं श्रुतं सितो पीतं पीता रेतो वियर्द्धनं ॥२६॥ पीपल की जड़ फल पत्ते और छील को मिश्री और दूध के साथ पीने से वीर्य बढ़ता है। गोक्षुरं शतावरी तिल हयगंधा कपिवधुबला चूर्ण: शुभ शौरभय पटसा पीतो नर वीर्य कद्भवति ॥२७॥ गोखरू सतावरी तिल अश्वगंध कोंच के बीज और खरेटी के चूर्ण को गाय के दूध के साथ पीने से मनुष्य का वीर्य बहुत अधिक बढ़ता है। शुद्धैमास्तिलैः शालि तंदुलै रक्षजन्मभिः अपिशष्कुलिका सर्पिभूविष्टा मन्मथवर्द्धना ||२८॥ शुद्ध उड़द तिल साठी चावल और रक्ष जन्म (सफेद सरसों के फूलों की कचौड़ी के सुहाली के धी के साथ खाये जाने से अत्यंत काम को बढ़ाता है। क्षीरेहविषि च पिंडी विघाचितां वितुषमाष विदमलां कामीभुक्का प्रमद शतमपि भुक्ता न तृप्तोति ॥२९॥ धुली हुई उड़द की दाल की पिट्ठी को दूध और घी के साथ पकाकर खाने से कामी पुरुष को स्त्रियों से भी तृप्त नहीं होता। हयगंधा खंडाता सिततर तिल माष शालिन: शदका माहिष पयो विपुका लीठा द्विगुणोत्तरा दृष्या ॥३०॥ असगंध, खांड, सफेद तिल, उड़द, साठी चायल को भैंस के दूध में पकाकर हलवे को चाटने से से दुगुनी पुष्टि होती है। आरताणा पुरुषाणां नारीणां च तथैवतु योगात्कारये च्चेत्समुचितार्थ कम साधनं ॥३१॥ अंगं च वरं चाऽन्यं नर नारी हितावहं नस्या पान पतं तैलं तानि नित्यं च सेवयेत् ॥३२॥ मंत्री दुखी पुरुष व स्त्रियों के योगों को जानकर ही योग्य रीति से उसके कार्य को सिद्ध करें। स्त्री और पुरुष की चिकित्सा के हितकारी अन्य भी उत्तम अगं हुल्लास पीने की वस्तु घी व लैल है उनका भी नित्य सेवन करें। । ලලලලලලෝස් අල වලටයුගලකට
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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