________________
CISIO15105015015105 विधानुशासन ISIOSISODIDISTRIES
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं अहं णमो स्वीर सवीणं हां ही हं ह्रौं हः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झौ स्याहा ॥४१॥ गोक्षीरा जपयसि पिबेत दिन ४१ अष्टादश कुष्ट गंडमाला दिकं नाशयति इस मंत्र से १८ प्रकार ६ गंडमाला आदि को नष्ट करता है इसकी सिद्धि में दिन ४१ तक गाय का दूध जप कर पीएं।
ॐ हीं इवीं श्रीं अर्ह ॐ णमो सप्पिस वीणं हां ही रही हूः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ सौ स्याहा ॥४२॥ एकादिक द्राहिक ज्याहिक चातुर्थिक पाक्षिकमासिक सावंत्सरिकादिक समस्त
शीतज्वरं नाशयति वह मंत्र रोज आनेवाले दूसरे दिन आने वाले तेइया चोथी या पाक्षिक मासिक और वार्षिक आदि सभी शीत ज्वरों को नष्ट करता है।
ॐ हीं झ्वी श्रीं अह ॐणमा महुर सवीणं हा ही हू हौ हःअप्रतिचक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झी स्वाहा ॥४३॥ सर्व व्याधिर नाशयति यह मंत्र सब रोगों को नष्ट करता है।
ॐ हीं इवी श्रीं अहं ॐ णमो अमियस विणं हूँ ह्रीं हूं ह्रो हः अप्रति चक्रे फट विचकाय असि आउसा झाँझौ स्वाहा ॥४४॥
समस्तोपसर्ग नाशयति यह मंत्र समस्त प्रकार के उपसर्गों को नष्ट करता है।
ॐ ह्रीं श्ची श्री अहं ॐ णमो अक्षीण महाणसाणं हां ह्रीं हूं ह्रौं हू: अप्रति चके फट विचकाय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ ४५ ॥
स्त्र्याकर्षणं भवति इस मंत्र से स्त्री का आकर्षण होता है।
ॐ ह्रीं श्वी श्रीं अह ॐ णमो वढमाणाणं हां ह्रीं हूँ हाँ हअप्रति चके फट विचकाय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ ४६ ।।
बंधनं विमोचनं कुरू स्वाहा इस मंत्र से बंधन मुक्त होता है।