________________
CSP
विधातास
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो वठ्ठ माणाणं ४६ अवसतां ऋद्धिं व्याप्तं मानं ज्ञानं येषां
6969595955
तपकर परम ऋद्धि से जिनके मान बढे है। निर्मल चारित्र के धारी ऐसे मुनि वर्द्धमान भगवान है उनको नमस्कार है ।
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो सिद्धाय दणाणं ४७
सिद्धानां मुक्तात्मा नामा यतनानि निर्वाण स्थानानि
लोक के अन्दर सर्व सिद्धायतन चैत्यालय है उनको नमस्कार हो निर्मल भावों से जप करने से राजादि वशि होय ।
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो च्चारणाष्यो सहि पत्ताणं
जो मुनिराजों के उधारण रूपी औषधि के स्पर्श से मनुष्यों के रोग नष्ट होवे उन मुनियों को नमस्कार होवे ।
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो भरावदो महदि महावीर वछ्रमाण बुद्धा रेसीणं वेदि
भगवतः सहज विशिष्ट मत्यादि ज्ञान त्रय वतः पूजातिशय वतो या महति महावीरः बुद्धिरिसीणं चेदि बुद्धो यो पादेय विवेक सम्पन्नः ऋद्धिः प्रत्यक्ष वेदी च शब्दादि वीरादिनाम ग्रहणं इति शब्देन प्रकारार्थेन एवं प्रकारे भ्यो महर्षिभ्यो नमो भगवान महत् महावीर वर्द्धमान बुद्धि ऋद्धि के धारी मुनिराजों को नमस्कार होय भगवान के स्मरण मात्र से बलवान वैरी स्मरण करने वालों को नहीं जीत सके।
इति शब्देन प्रकारार्थेन एवं प्रकारेभ्यो महर्षिभ्योनमः इतिप्रत्येय
ॐ नमः सिद्धेभ्योः अथगण भृत्यु पूजा लिख्यते मध्ये ष्टकौंण चक्रं निखिल जिनंपते क्ष्माक्षरं पीठ बद्ध वामे ह्रीं दक्षिणे इवीं श्रियम धरतले तेषु सव्यापसव्यं कोष्टेष्टा प्रति चक्रे फडि विवस विचक्राय होमांत मंत्रां श्री देवीनां च षर्ण यहि रपि विषिषन्मंत्र दुर्गास्य कोणे
प्रादक्षिण्यं स होमं सकल शशि वृतं पूर्ण चंद्रावृतं तच्चिक द्वित्रिन पत्राष्टक वलयादिलें ऐहिया है नमो ग्रै मंत्रैरावेष्टय बाह्रै गणधर वलये ह्रीं श्रीधाक्रौं निरुद्धं यंत्र तत्पंच शून्दौर रियल गुरू पदाद्यक्षरैमूल मंत्र:
959 5951961 ३१५ PSPSC
॥ १ ॥
॥ २ ॥
5959595