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CROSOTSD15105075 विद्यानुशासन P50151015015055
ॐ ह्रीं अह ॐ णमो रखेलोसहि पत्ताणं ३४
ध्येलो निष्टीवनं सएयोषधिः तां प्राप्ताणां सा या प्राप्ताटोषा स्तषां जिन मुनि के संकार को छूने मात्र से दूसरों के रोग नष्ट हो उन मुनियों को नमस्कार हो।
ॐ ह्रीं अह ॐ णमो जल्लोसहि पत्ताणं ३५
सव्वांग मलो जलः सः एवौषधि तां प्राप्तानां । जिन मुनि के जल ऋद्धि उपजे तिनके सर्या ग मल जल के स्पर्श मात्र से दूसरे रोग नष्ट हो उसे नमस्कार हो।
ॐहीं अहणमो विप्पो सहिपताणं ३६
विपूधो ब्रह्म विदयः शेषं पूर्ववत् जिन मुनि की विधायक रमर्श से मरे के सार होगा को उनको जमस्कार हो।
ॐहीं अह ॐ णमो सयो सहिपत्ताणं ३७
सर्व मूत्र पुरीष नरय केशादिकं शेषं पूर्ववत् जिनमुनि के मूत्र विष्टा केश आदि मलों के स्पर्श से दूसरे के सब रोग नष्ट हो उनको नमस्कार
ॐहीं अह ॐ णमो मण बलिणं ३८ नो इंद्रय श्रुतावरण वीयांतराय क्षयोपशम प्रकर्ष सति स्वेद
मंतरणांत मुहूतें सकल श्रुतार्थ चिंतनम्वधातुम समास्ते मनो बलिस्तेषां अंतर्भुहुत में समस्त शास्त्रों का चितवन करने की सामर्थ्य यान होवे सो मण बलि ऋद्धिधारी मुनिराजों को नमस्कार हो ।
ॐहीं अह ॐणमो वचो बलिणं ३९ वचो जिव्हाभ्रतावरण वीांतराय क्षयोपशम प्रकर्षे सति
अंतमूहुर्त सकलश्रुताच्यारण समर्था स्तेवाग वलिन स्तेषां अंतर्मुहुर्त में समस्त शास्त्र के पाठ करने की जिनकी सामर्थ्य है सो वधनबलि है ।
ॐहीं अह ॐ णमो काय बलिणं ४० । वीयांतराय क्षयोपशमादा विर्भूता साधारण काटा बल त्वादंगुल्यग्रेण
त्रिभुवन क्षोभनादिनि पुंसा स्तेकाय बलिन स्तेषां अंगुली के अग्रभाग से तीन लोक को उठाकर दूसरी जगह स्थापन करने की जिनकी सामर्थ्य है उनको नमस्कार है। SSOCIEDISTRISODE ३१३P150DDIRECTRICISCIRS