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________________ 959595959 श्री वर्द्धमान जिनेश्वर सन्निधौ द्विसहस्राधिक दश सहस्त्र जाती कुसुमैः साधनीये भव्टाः स सिद्ध विद्यः घट कम्मणि लीलया कुतुं शक्रोतिः इस मंत्र को पहले सेवा से पार्श्वनाथजी स्वामी के निकट आराधना करके एक लाख बीस हजार जपे फिर श्री वर्द्धमानजी जिनेश्वर के समीप चमेली के फूलों से बारह हजार जपे भव्य पुरुष इसप्रकार साधन से मंत्र के सिद्ध करके छहों कर्मों को खेल से ही कर सकता है । follo स्वाहा । ke श्रावणा Defarray: Perzo सुख सहिताि Date of jallate that go a fan ce यो पणासमना 28 3 घोणा २ १५ ॐ नमो विलमणि १६ ९ विधानुशासन 95951951969 22 " Jale Jalota J ja that we met the IT be faftigi Jalta la forma talkhajlong the fif flax is safe this to El Jazje. यो दस 22 Mathaey 62 83 णमो as ܐ ܀ ॐ ba २७ देवदत्त 造 ॐ नमो दिसतवाणं : 15 अ णमो AL ॐॐ Atala काय स्वाहा कला योगराज लोसा ४४ ॐ नमो 34 25 1 म असिमासा अप्रति नमो भव्योति विणा बुद्धी १२ महावीर वटमाण कि रिसीण स्वाहा। ४९ ॐ नमः ५० हांडी ॐ नमो आगास गामीण २४ २ णमो आसीविसाण २५ जमी दिट्टी विसा ४० ॐ शमो वधि बली ४१ काम अलीण ४ ॐ नमो मवीण ४३ ॐ हिजणा ४ ॐ जो परोर जिणाम ३२३ मी चोर गण परकमा ३३३ णमो र गुण पादानुसारण १०णि सोदराण १९ वीण ॐ णमो ॐ नमो चउदन पवीण १८ मोटर Edels bala Be Ja -रि ३४ मो 959595959595 TOPS95951959596 T
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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