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STSICROSOTRICTERIS विद्यानुशासन PSIRISTRISTOISTRISION
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अर्चयित्वा ततो यंत्रं पायचेत् साध्य मंभसा।
इत्येवं कारयेन्मंत्री फलं यावद्दिने दिने दिने दिने। अर्थ:- फिर मंत्री यंत्र का पूजन करके उस यंत्र को जल से धोकर साध्य के पिला दे इसप्रकार करते हुये मंत्री को प्रतिदिन अधिक अधिक फल होता है।
परविद्या प्रणश्यति फल जिष्फादन क्षमा।
शाकिनी भूता वेताल पिशाच ब्रह्म, राक्षसाः॥ अर्थ:- शाकिनी भूत वेताल पिशाच और ब्रह्म राक्षस के फल उत्पन्न करने वाली दूसरे की विद्या नष्ट हो जाती है।
अपमृत्युश्चतं साध्यं न स्पृशांति कदाचनः
शूल विसूचि का जीर्ण लूति विस्फोट कादयः ಜಗಣಸಹಜಡ Ret 59555ರಿಪಡ