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विद्यानुशासन PASIDASICISEKSICIRCISI अथ चतुर्थ मंत्र :
ऐं क्लीं पद्मावती नमः
आराधितो महाभक्त्या मूल मंत्रोदि वानिश मंत्र पद्मावती देव्यो स्तवादेव प्रसिद्धयाति
॥३०॥ अर्थ:- यह पद्मायती देवी का मूल मंत्र अत्यंत भक्ति से रात दिन आराधना किये जाने पर फल देता है।
मूल मंत्रादि मंत्राणां शामनस्य प्रभोज्जत, अधिष्ठात्री महाशक्ति देवी पद्मावती सदा
॥३१॥ अर्थ:- इस मंत्र की अधिष्ठात्री पद्मावती देवी अन्य सब मूलमंत्रों को शांत कर देती है।
विशेष स्तव मंत्र स्मिन भिन्न पूर्व क्रमात्किल, रक्त कणवीर कुसुमै जपेत्कार्यस्य सिद्धये
॥३२॥ अर्थ:- इस मंत्र में अयं मंत्रो से यह विशेषता है कि इसका लाल कनेर के फूलों पर जप करने से कार्य सिद्ध हो जाता है।
तेजः शक्ति महालक्ष्मी रहन्पूर्वा नमों तगाः
मंत्रा वृषभादि जिनानां च लिवेत्पत्रेष्वनु क्रमात् ॥३३॥ अर्थः- इन मंत्रो के पश्चात चौबीस पत्रों में क्रम से तेज (ई) शक्ति (ह्रीं) महालक्ष्मी (श्रीं) और अर्हन (ह) को पहले लगाकर तथा अंत में नमः लगाकर २४ तीर्थंकरों के नामों से मंत्र बनाकर लिखें। वह यह है। ॐ ह्रीं श्रीं है वृषभाय नमः
ॐ ह्रीं श्रीं है अजितनाय नमः ॐहीं श्रीं है संभवाय नमः ॐहीं श्रीं है अभिनंदनाय नमः ॐहीं श्रीं है सुमतये नमः - ॐहीं श्रीं हपापभाय नमः ॐहीं श्रीं है सुमार्थाय नमः . ॐ ह्रीं श्रीं है चंद्रप्रभाय नमः ॐ ह्रीं श्रीं हं पुष्पदंताय नमः - ॐ ह्रीं श्रीं है शीतलाय नमः ॐ ह्रीं श्रीं है श्रेयांसाय नमः - ॐ ह्रीं श्रीं है वासु पूज्याय नमः ॐ ह्रीं श्रीं है विमलाय नमः . ॐ ह्रीं श्रीं है अनंताय नमः ॐ ह्रीं श्रीं है धर्मनाथाय नमः - ॐहीं श्रीं है शांतिनाथाय नमः ॐ ह्रीं श्रीं है कुंथुनाथाय नमः - ॐहीं श्रीं है अरनाथाय नमः
ॐ ह्रीं श्रीं है मल्लिनाथाय नमः - ॐ ह्रीं श्रीं है मुनिसुव्रताय नमः SHORICISIODRISCISIOS २५१PASCISCTRICISDISTRICTS