SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 501501505505 विधाबुशासन PSISTERSTUDIES तानि चामूलानि हां ह्रीं हुं ह्रौं ह हहो है हीं हां (हाथों में लगाये) ॐ ह्रां णमो अरिहंताणं मम शीर्ष रक्ष रक्ष स्वाहा (अंगों में लगावे) ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं मम वदनं रक्ष रक्ष स्वाहा।। ॐहूं णमो आयरियाणं मम हृदयं रक्ष रक्ष स्वाहा ॐ हौं णमो उव ज्ज्ञसायाणं मम नाभिं रक्ष रक्ष स्वाहा ॐह: णमो लोए सख्य साहूणं मम पादौ रक्ष रक्ष स्वाहा अष्ट प्रहर की रक्षा क्षुद्रोपद्रव नाशनी पंच भूतात्मिको त्पंच देहस्य सकलीकियां कुर्यात् ॥१२॥ अर्थ:- यह अष्ट प्रहर की रक्षा और पंच भूतात्मिका पाँचों अंगो की रक्षा सब छोटे छोटे उपद्रवों को नष्ट करती है इसके पश्चात सकलीकरण करें। ॐ णमो भगवते पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय क्षुद्रोपद्रव विनाशनाय शिरवाबंधन सापद्भयो मां रक्ष रक्ष स्वाहा । शिखा बंधन मंत्रः ॐ हीं इन्द्र पूर्वदिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐहीं अग्ने आग्नेय दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ ह्रीं यम दक्षिण दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ हीं नैऋते नेत्रति दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ ह्रीं वरुण अपाचि दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐहीं वायो वायव्य दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ ह्रीं कुबेर उत्तर दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ हीं ईशान ईशान दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ ह्रीं धरणेंद्र पाताल दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्वाहा ॐ हीं सोम उर्व दिशां रक्ष रक्ष बंध बंध स्याहा ॐ श्री पार्श्वनाथाय नमः इतिदिग्बंधनं ॐ स्थिरे सुस्थिरे सर्व सहेमू भूमि देवते महापवित्रते सर्वापद्भ्योमा रक्ष रक्ष स्वाहा ॥ ॥दिक्पाल पूजा ॥ (१) ॐ ह्रींपूर्व दिग्वासिन स्यायुधवाहन वधुचिन्ह परिवार सहितंभोइन्द्रं आगच्छ आगच्छ दिव्यासने तिष्ठ तिष्ठ इदं जलायर्चनं गृह-गृह मम सन्निहितो भव भव संवोषट्॥ S5ICISEDICTRICISIONSID5.२४६PSPIRICISTRICISICISCIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy