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9595269515 विद्यामुशासन 9595952950525
॥ ९ ॥
तं प्रतिनिधाय तस्मिन्नेक कुलोद्भूत कन्य कायुगलं त्रिषुवर्णे ष्यन्यतम स्नातं धवलां बरोपेतं पूर्वोक्त थाली अक्षत के ऊपर स्थित जल के कलश पर रखे हुये दर्पण को श्मसान की भस्म से इक्कीस बार अभिमंत्रित करके उसे उस कलश के ऊपर रखे, और ब्राह्मण, क्षत्रिय अथवा वैश्य तीनों वर्ण में से किसी एक वर्ण की दो कन्याओं को स्नान कराकर तथा श्वेत वस्त्र पहनाकर
अभ्या गंध तंदुल कुसुम निवेद्यादिभिः स्ततः कलशं दत्वा तांबूलादीन्नदशं दर्शये ताभ्यां
॥ १० ॥
मंत्री मंत्र पपटं स्तिष्टेत पृच्छेत कुमारिका युगलं द्दष्टं श्रुतं च कथयेत् रूपं वचनं च मुकुरुंदे ॥ ११ ॥
कलश को चंदन, अक्षत, नैवेद्य तथा पुष्प आदि से पूज कर उन कन्याओं को तांबूल, पुष्प, अदात आदि देकर दर्पण दिखायें। उससमय मंत्री मंत्र को पढ़ता हुआ उन दोनों कुमारियों से प्रश्न करे वह उस दर्पण में देखे हुए रूप और सुने हुए वचन को ठीक ठीक कहेगी ।
॥ दीपक निमित्त ॥
ब्रह्म प्रथमतः पश्चात्सुंदरी ध्वनिरन्वितः परमादि वातंः स्यात्प्रिथा कृष्ण वत्र्त्मनः
॥ १ ॥
पहले ब्रह्म (3) सुंदरी शब्द से जुड़ा हुआ फिर परम के साथ भी वही पद (सुंदरी) अंत में लगा हुआ हो तो काले मार्ग को पसंत करने वाली का मंत्र बनता है।
अष्ट सहस्त्र जति पुष्पै श्री वीरनाथ जिनपुरतः जप्तै: सुंदरी देवी सिद्धयति मंत्रेण सद्भक्त्या ॐ सुंदरी परम सुंदरी स्वाहा
॥ २ ॥
श्री महावीर भगवान के सामने आठ हजार मालती के फूलों से भक्तिपूर्वक जप करने से सुंदरी
नाम की देवी सिद्ध होती है।
ब्रह्मादि सुंदरी शब्द होमांत कर्णिकांतरे
अष्ट पत्रेषु सर्वेषु लिखेत् परमसुंदरी
やずですやすや PPSC २२५959596959595951
॥१३॥