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PSPSPSPS विधानुशासन 9595959590595
तदाभि मुखं प्राकथित कुमारिका युगलमथ निवेश्यत ततः ।
संपुटितं
तद् हृदये ब्लूंकारं विचिंत्येत्प्रणव
चौकोर मंडल में रखे हुए सुगंधित द्रव्य और जल से भरे हुए कलश के ऊपर एक दर्पण पश्चिम की ओर मुख करके दोनों कुमारियों के मध्य में रख दें। उस दर्पण के सामने पहिले कही हुई दोनों कन्याओं को स्थापित करके उनके हृदय में ॐ ब्लूं ॐ इस मंत्र का ध्यान करें।
शशि मंडल वत्सौम्यं तन्मंत्रमनुस्मरत् स्वयं तिष्ठेत् आदर्श मीक्ष माणं कुमारिका युगलकं पृच्छेत्
चंद्र मंडल के समान सौम्यरूप वाले वक्ष्य माण मंत्र का ध्यान करता हुआ दर्पण में देखती हुई दोनों कुमारियों से पूछे ।
यद्दष्टं यत् श्रुतं ताभ्यां तत्र तस्य रूपं यचो यथा यत्तत्र द्दष्टं आदर्श मंडल स्वांतस्त त्सल्यंताय्यथा
भवेत् ॥
अंगुष्टे सलिले खङ्गे दीपे च विधिनाऽमुना द्दष्टं रूपं श्रुतं चापि न मिथ्या जातु चिद्भवेत्
वह दोनों उस दर्पण में देखे हुए जिस रूप को या सुने हुए जिस वचन को कहेगी वह अन्यथा नहीं हो सकता । इस विधि से अंगूठे जल तलवार और दीपक में भी देख या सुना हुआ रूप कभी भी मिथ्या नहीं हो सकता।
दूसरी विधि
ॐ णमो मेरू महामेरू ॐ णमो धरणि महा धराणि ॐ णमो गौरी महा गौरी ॐ णमो कालि महाकालि ॐ णमो इंदे महाइंदे ॐ णमो जये महाजये ॐ णमो विजये महा विजये ॐ णमो पण समणि महापण समाणि पद्म धरेदेवि अवतर अवतर मम चितिंत कार्य सत्यं ब्रूहि सत्यं ब्रूहि स्वाहा ॥
आदर्श दौ पश्ये निमित्तमेतेन पूर्ववन्मंत्री अष्टम सहस्त्रप्रजपन विधान सिद्धेत मंत्रेण
॥ १ ॥
यह मंत्र आठ हजार जाप से पहिले के समान आदर्श (दर्पण) आदि में निमित्त देखने के लिए सिद्ध होता है।
PSPSPGPSPSPSPA २२३ PAPPA
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