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शुरु के १ सेट काव्यों को यदि गुरू मुख से उपदेश लेकर ८ दिन में १ लाख जाप करे तो ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । ५ दिन में ४ लाख जप करे तो शत्रु का पराभव हो २ दिन में ५ लाख जप करे तो दुनिया से अपने को डर रहता हो तो वह नष्ट होता है। १ दिन में ५ लाख जाप करे तो मारण करने वाली का मारण प्रयोग नहीं हो सकता है । १ दिन में ९ लाख जप करने से क्षोभन नष्ट होता है । ८ दिन में १० लाख करने से विघ्न नष्ट होते हैं । २ दिन में २ लाख जप करने से विष का असर नहीं होता है । १ दिन में १२ लाख जप हो तो लक्ष्मी मिलती है। भू- ८ दिन चन्द्र = १ लाख विश्व= ५ अभिनिधि = ४ इक्षण =२ याण = ५ चन्द्र = १ रूप ५ बिंब = १ वसु =८ पृथ्वी = ९ दिक = १० युग्म हक एक खेचरेषु
यस्या देवैनरेन्द्रमर पति गणैः किन्नरे दानवेंद्र : सिद्धैन्नागेषुयक्षैर्नर मुकुट तटी घृष्ट पादार विंदे सौम्ये सौभाग्य लक्ष्मी दलित कलि मले पद्म कल्याण माले अंते काले समाधिं प्रकटय परमं रक्ष मां देवि पद्मे ॥ १७ ॥
देवता लोग राजा लोग, देवताओं के स्वामी इन्द्र आदि किन्नर दैत्यों के स्वामी इन्द्र सिद्ध विद्याधर यक्ष, नाग, मनुष्य आदि मुकुटों अग्रभाग से पद्मावतीजी चरण कमलों में ढोक देते देते घिस गये हैं। ऐसी है पद्मावती देवी अपने सौभाग्य की महिमा से कलिमल को नष्ट कर देने वाली और शुभकर्म की माला पहिनी हुये हे पद्मावती देवी मेरी रक्षा करें और अंत काल में संसार के प्रति मेरे मन में वैराग्य उत्पन्न करो अर्थात् मेरी अंत में समाधि मरण होवे उसके लिये मेरी रक्षा करो।
धूपैश्चचंदन तंदुलैः शुभ महागंधैः सुमंत्रालिकै नानावर्ण फलै विचित्र भरितै दिव्यै मनोहरिभिः दीपैर्वेध वस्त्रे रनु भवन करैभक्ति युक्तं प्रदताः राज्ये हेतु : गृहाण भगवति वरदे रक्षमां देवि पले
॥ १८ ॥
भक्ति के साथ झगट देवी की धूप, चंदन, अक्षत, सुगंधित द्रव्य, अनेक प्रकार के फल और पकाये हुये बहुत सारे नैवैद्य और अच्छे वस्त्र दीप आदि से पूजन की जावे तथा भक्ति पूर्वक अर्पण की जाए
तो राज्य लक्ष्मी प्राप्त हो तथा रक्षा के निमित्त गृहण करो। ऐसा प्रार्थना की जाए
तारात्वं सुगतागमे भगवति गौरीति शैवागमे
वज्रा कौलिक शासने जिनमते पद्मावति विश्रुता
गायत्री श्रुति शालिनी प्रकृति रित्युक्तासि सांख्यायने मात भरिति किं प्रभूत भणितः व्याप्तिं समस्तं त्वयाः
॥ १९ ॥
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