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________________ S5I0505XDISTRISTR15 विद्यानुशासन SRISISISESSIOISOTES इत्थं मंत्रार्थ गर्भण स्त स्तोत्रेण भक्तितः तां पनां साधयेन मंत्री समस्तै साधन कमैः॥ इस प्रकार मंत्री इस मंत्रार्य गर्भित स्तोत्र से पद्मावती देवी की भक्ति पूर्वक स्तुत करके उसको पूर्णतया साधन विधि से करे। सिद्धयति पद्मादेवी त्रिलक्ष जापेन पद्मपुष्पाणां अथवाऽरूणं करवीरक वृत्तेक पुष्प जापेन पद्मावती देवी लाल कमल के फूलों अथवा लाल कनेर के फूलों पर तीन लाख जप करने से सिद्ध होती हैं। तत्वा वृतं नाम विलिरव्य पत्रे तन्होम कुंडे निरवने त्रिकोणे। स्मरेषुभिः पंच भिः रभि वेष्टयं वाह्ये पुनलोंक पति प्रवेष्टयं ॥३१॥ एक ताम्रपत्र पर नाम को ही से वेष्टित करके उसके चारों तरफ द्रां द्रीं क्लीं ब्लू सः को लिखकर बाहर फिर ही लिखकर उसको त्रिकोण कुंड (होमकुंड) में गाड़ दें। CASTD150151015TRASTRIS995 २०१PISIPEDISTRIEDISTRITICIEN
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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