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ಆಡದಂಥಗಣG Ragಥಣ ಬಣಣಠಟಣದ इस नील कंठ मंत्र का श्री पार्श्वनाथ भगवान के चरण कमलों के समीप बैठकर १२ हजार बार जपे इस मंत्र को १०८ बार जप कर शीघ्र ही सिद्ध करलेना चाहिये इस मंत्र के द्वारा छूने से यह रोग और विष को जीतकर निरोग कर देता है और आयेशन करता
ॐ नमो भगवतो पार्थ तीर्थकराय काली मुरवीरवीनां वासुकिना कर्कोटकानांकपिलानां काल दंतानां काल दंष्टाणां काल दृष्टं कराल कानां अष्टादश वृश्चिकानां एकादशदेवतानां पणासविष साणां षोडशमूषिकाणां षोडश मर्कटानां व्यतरं विष वा सर्प विष वा सर्वरोग विनाशिनी सर्व विटा छेदिनी आत्म विद्यां रक्ष रक्ष हितंकारी हितंकारी यशंकर वंशकार अत्रयंकरि र मनोहरि सर्व रोग शमं करिभीम करिभीम भीष्ण दंष्ट्रा करालाय सर्वजन वंश कराय सर्वराज वशमानय वशमानय सर्वलोक मगभूत पिशाचादीनवशमानयर हन हन दह दह पंच पंचशीघशीयं आवेशय आशादा मुंच मुंच माह मुंन नमो भगाते पाश्वतीर्थकरे भ्यो नमो नमः स्याहा॥
पार्श्वप्रज्ञप्ति मंत्रोयं विषक्षुद्र निषदनः वंध्यानां गर्भ जननः सर्वभूत ग्रहापहाः
स्तनोदामन कृत स्त्रीण मार्तवोत्पत्ति कच्चसः अपमृत्युहरो मार्गभयेभ्यश्चापि रक्षाति
॥२॥ यह पार्श्व प्रज्ञप्ति मंत्र छोटे छोटे विषों को नष्ट करता है वंध्या के गर्भ उत्पन्न करता है रज उत्पत्ति करता है, कुच उद्गम (बड़ा करे) तथा सब भूत ग्रहों को नष्ट करता है। स्त्रियों के बंद हुए ऋतुधर्म को फिर पैदा करता है, शांतिरूप हैं, अपमृत्यु का नाश करता है और मार्ग के भय से रक्षा करता है।
ॐ णमो अरहताणंॐ णमो भगवते त्रैलोक्यनाथाय नमोस्तु परमेशराय क्षी नमो भगवते केवलि तीर्थकराय देवकरे देवकरे देवकरे यक्षकरे राक्षकरे राक्षसकरे
रावसकरे देव कटाक्ष करे देवकटाक्ष करेगरूडाक्ष करेगरूडास करे गंधर्वाक्षकरे CASIOISOISTRISTOTR A १३९ P5050SSIRISTRASIDASIDISA