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SCRISIS5ISISTRASIDE विधानुशासन 985105051215I0RSIOIST
नामोध्वर्दा विलिरिवत बीजायेना मुना बहिस्तेषां
मंत्रेणवेष्टयित्वा विलेरिवद्भूमंडलं बाह्य नाम के ऊपर और नीचे लिखे हुवे इस बीज आदि के बाहर यंत्र को इस मंत्र से वेष्टित करके बाहर पृथ्वी मंडल बनावे
1॥३॥
यंत्र मिदं नय कमलं योद्भावन शुभंकं सभाजने लिरिवतं
मंत्रेणापित्तमभः पीतं शमयेत् ज्वरान सर्वान् ॥४॥ इस नवीन कमल वाले उत्तम यंत्रको उत्तम बरतन में (अथवा ताम्रपत्र) लिख कर उसमें इस मंत्र से मंत्रित किये हुए जल को पीता हैं। उसके सब प्रकार के ज्यर शांत हो जाते हैं।
ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय ऐहि ऐहि ह्रीं ह्रीं भगवती दह दह हन हन चूर्णयचूर्णयभंजय भंजय कडु मईया मद्देयम्ल्यूँ आवेशय आवेशय हुं फंट्स्वाहा
मार्तड संरव्यथा जापं सह च कुसुमैः
पुरागतइशांसेन होमेनाप्येष मंलः प्रसिद्धयति पहले इस मंत्र की फूलों के साथ बारह हजार जपे और यारहसौ होमसे सिर करके तब काम में लेना चाहिए ।
ज्वर ग्रह पिशा चाचा स्तोभं कृत्वा शिरो व्याथां
नश्यतिं पार्श्वनाथस्य मंलेण नेन तत्क्षणात् पार्श्वनाथ स्थानक इस मंत्र से ज्वर ग्रह पिशाच आदि रुक जाते है सिर का दर्द उसी क्षण नष्ट हो जाता है।
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