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969595959 विधानुशासन 95905959519
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संग्रह सकली रक्षा स्तोभं सं स्तंभ निर्विषा वेसो, परकृत विद्या छेदं शाकिन्युरु निग्रहं वक्ष्ये
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अब संग्रह सकली करण रक्षा स्तोभन स्तंभन निर्विषकरण आवेशन (देवता को जगाना) पर विद्या
छेदन और शाकिनी निग्रह कर्म का वर्णन किया जायेगा ।
श्री मन्नाग निकाटा नायक फण माणिक्य बाला तप श्रेणी पल्लवितांग गारूड मणि श्याम प्रभा भासुरे ध्याते पार्श्वजिनेश्वर भगवति त्रैलोक्य रक्षा मणौ, सद्यः कल्मषु कालकूट गरलं ज्वालावली शम्यति श्री पार्श्वनाथमानम्य धरणेन्द्र नमस्कृतं पाश्वाष्टकस्य संबंद्धा सद्सद्वृत्तिं विदधाम्यहं
॥ १॥
श्री मदिंद्रनद्यचाद्य मंत्र स्तुति रूपेण श्री पार्श्वनाथ भट्टारकं स्तोतु काम इदगिमाह अत्रनवभिर्वृतैर्यथाक्रमं ।
संग्रह, सकलीकरण, रक्षा, स्तोभ, स्तंभन, निर्विष, आवेश, परविद्या छेदन, शाकिनि, निग्रह कर्म्म, गर्भाः स्तुतयो विधीयते तत्र प्रथमं संग्रह गर्भास्तुति माह ॥
टीका :- नागों के समूह के अधिपति बाल सूर्य की श्रेणियों अर्थात् पंक्तियों के समान फैले हुवे शरीर वाले गारूड़ियों में उत्तम नागराज से शोभित, श्याम प्रभा के चमकते हुए तीन लोक की रक्षा करने वाले भगवान पार्श्वनाथ का ध्यान करने पर पाप रूप काल छूट विष की ज्वाला का समूह शांत हो जाता है।
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