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________________ sans SHIDI50512151015105 विधानुशासन् 1510151255015051015 हजलोद्धार मंत्र: ॐ भूतग्रहाय समाहिताय कामाय रामाय ॐ चुलु चुलु गुलु गुलुनील भ्रमरि भ्रमरि नान मनोहरि मनोहरि नमः । नयनांजन मंत्र: कज्जल रंजित नयनां द्रष्ट्या तां वांछतीह मदनोपि रंजित नयनं भूपाद्या यांति तस्य वश्यं ॥२५६ ॥ पुत्तंजारी (त्रायमात= अमीरन), कुंकुम, सरफोका मोहिनी (पणेदीना) शमी, कूठ, गोरोचन, नाग केशर, नागरमोथा, रुदंती और कपूर चूर्ण को पावक (अग्नि) में डालकर उसको कमल के धागे से लपेट कर उसकी बत्ती बनाए । फिर कारुकं के स्तनो के दूध और तीनो वर्णो की स्त्रियों के दूध में भावित करे | कपिला गाय के घृत से दीपक जलाएं।इस अंजन को दोनो ग्रहण और दीवाली की रात्रि में गोबर से लिपी हुई तथा मंत्र से धुली हुई पृथ्वी पर ठहर कर खप्पर में काजल पाड़कर नेत्र में यह काजल लगाई हुई सी कामदेव को भी वश में कर लेती है। पुरुष भी उस काजल को लगाकर राजा आदि को वश में कर लेता है। लोहरजःशरपुंरवी सहदेवी मोहिनी मयूर शिरवा काश्मीर शिरवाकाश्मीर कुष्ट मलयज कर्पूरशमी प्रसून च ॥२५७॥ राजावर्तकं भ्रामक दिवस करावर्त मदजरा मांसी नप पूति केशर चंदन वाला गिरि कर्णिका स्वेता ॥२५८॥ गोरोचनाश चंदनं हरिकांता तुषमित्योषां चूर्ण मलक्तक पटले विकीर्य पिरवेष्टय कुरू वत्ति ॥ २६०॥ श्रोतोजनं नीलंजन सौ वीरांजन रसांजनान्यपि च पाहि सिंह के शर शार्दूल नर वश्च विकृतिश्च ॥२५९ ।। सूण पंचपर्णेन परिवृतां भावयेत् तरु क्षीरैः कारुक कुच भवपासा पुनरपि तां भावोत्सम्यक ॥२६१ ॥ ಆಣಣಣಣಣಲಿಜುಥಡRoxsyಥಐಐಟಣFOಥ
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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