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स्मर बीजयुतं श्रन्यं तत्वैने कार वेष्टित तद्वाह्येष्टदलां भोजें नित्यं क्लीं मदन्नं द्रवे ॥
मदना तुरेय वषाडिति विलियेत स्वाहा विनय पूर्वेण त्रिभुवन वश्य मवश्यं प्रति दिवसं भवति संजपतः ॥
ॐ क्लीं ह्रीं ऐं नित्थे क्लीन्ते मदन द्रये मदनातुरे मम सर्व जन वश्यं कुरु कुरु यषट् ॥
एक अष्ट दल कमल की कर्णिका में नाम सहित हकार क्लीं को मिलाकर लिखें जिसे ह्रीं और ऐं से वेष्टित करके उसके बाहर आठ दल कमल के पत्तों में निम्नलिखित मंत्र लिखे और उसको प्रतिदिन जपने से अवश्य ही तीन लोक यश में हो जाता है।
ॐ ह्क्लीं ह्रीं ऐं नित्ये क्लिन्ते मदन द्रवे मदनातुरे मम सर्व जनं वश्यं करू कुरू वषट स्वाहा।
वषट् स्वाहा
वय कुरु कुरु सर्व नवे मदनातुरे
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शुत्र विधानुशासन 5959596965
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वर वर स्वाहा 1 कुरु कुरु
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