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STORIEDIOMOS206 विधानुशासन 05101510551015IDEOS
मधु तो द्विगुणं तेलं काथं संमिश्रितं पचेद्विधिना
वनिता वदन्योभ्यं ग्रन तैलमिदं त्रिजगती वशीकृत ॥२३॥ विकृतिन (आक) पाँच भाग, नक्ता (कलिहारी) दस भाग, नमक नौ भाग, मोहिनीका (गोभी) चार भाग और लजरिका (छूई मूई) छ भाग को शनिवार के दिन जब अमावस्या आए तब लेकर आए; उसको बकरी के दूध में पीसकर आधे का बकरी के दूध में क्वाथ बनाए अर्थात् पकाए। क्वाथ का आधा भाग रहने पर उसमें दूसरा आधा भाग भी डाल दे। फिर उसमें बराबर मधु और दुगुना तेल डालकर सबको विधि पूर्वक पकाकर तेल सिद्ध करे। यह तेल स्त्री अपने शरीर के अंग में लगाने पर तीन लोक को वश में कर लेती है।
॥२४॥
ब्रह्मडंडी दलैः वैद्र सहितैः स्मर मंदिरं लिप्तमात्यंतिकं पत्युः स्नेह्या वहते रतौ
पति वश्य प्रयोग भूमि कंदंबक स्वरसः स क्षौद्रः शर्करा समायुल: यौनौ नार्यालिप्त प्रियमचिरा दाशयत्कुरुते
॥२५॥
तैलं तिलोद्भवं पक्वंमाक्षिके योनि लेपनात् अति शक्तं पति कुयादति संशलमामृति
॥२६॥
मालती पुष्प संसिद्ध तैलाभ्यलं परागंया किंकरी क्रियते नाया संभोग समटो पतिः
॥२७॥
सिद्धं सिद्धार्थ तैलं पंचागै दाडिमोद्भवैः वरांगंमगंना लिंपेत् तेन कुर्यात् पति वश
॥२८॥
पिष्टैः सागस्य मूत्रेण दारु लिंब रसांजनैः वरांगं धूपयेद् या स्त्रीत दासो भवेत्प्रियः
॥२९॥
रोचना लक्ष्मणा मूल कल्क लिप्ततनु वधूः रुतौ प्राप्नोति सौभाग्यं दपितं प्रियदामिति:
॥३०॥ ಗಡFಥಳಥಳgoogYNESSESSES