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वो रजिणिवचरिउ
जमदंडे दुट्ट-कयंत वासु । संगहिउ नमसिवि निउ निवासु ॥ सम्माणिऊण अवितत्थ-संधु | काऊण ते चाया निबंधु ॥ जो होमइ आयहे देव पुत्तु । दायब्बु रज्जु तो हूँ नित्तु ॥ घत्ता - इय भणिवि मनोहर पीण-पओहर तिलयावइ तम-हर-मुहिय । अरि-दलवट्टणु परिणावेपिणु निय-दुहिय ॥ १ ॥
पेसिउ सुहव
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खंड-ता तहिं तीन समं तहो बहु- समएण सरीख किउ ताएं नाउ चिलायपुत्तु | कालेश कुमार पमाणन्यत्तु ॥ एक्कहि दिणि सक्क सभाणपण | फिड नेमित्तिक राणरण ||
[ ७.१.२५
रह-सोक्खं मागत हो । जायद मयमन्तरी ॥
महुप पुत्तहँ मज्जु एत्थु । कहि होसह को रजो समत्थु ॥ आहासइ परियाणिय-समत्यु | जी निव सिंघासण-मत्थयत्थु ॥ ताडंतु भेरि भीमारि तासु । सुहाण देतु चरन्मइ-पयासु ॥ भुंजेस पायसु सो निरुत्तु | होस तुह रज्जहो जोग्गु पुत्तु ॥ ता तेण परिक्खा छेउ सन्बु । सोहणि दिगि करण सुलग्गे सब्बु || हक्कारिवि पंच वि सुय-सयाई । भणिया नरिंदें नुय पयाहूँ || जं जं तुम्ह पडिहाइ स्थु । तं तं निम्सकिय पत्धु ॥ निमुणेषि एड पहसिय-मुहेहिं । सहसा पुत्र ई-सर-तगुरुहेहि ॥