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प्रस्तावना
विशेषण नहीं लगाये गये। इसके विपरीत उन्हें उक्त छहकी अपेक्षा जन्म अल्प
अयस्क व प्रव्रज्या नया कहा गया है। इससे सिद्ध है कि महावीर बुद्धसे ज्येष्ठ - थे और उनसे पहले ही प्रवृजित हो चुके थे ।
मज्झिमनिकामके साम-गाम सुत्तमे वर्णन पाया है कि जब भगवान् बुद्ध प्राम-गाममें विहार कर रहे थे तब उनके पास चुन्द नामक श्रमणोद्देश आया और उन्हें यह सन्देश दिया कि अभी-अभी पावामें निगंठ नासपुत्त ( महावीर) की मृत्यु हुई है, और उनके अनुयायियोंमें कलह उत्पन्न हो गया है । बुद्ध के पट्ट शिष्य मानन्दको इस समाचारसे सन्देह उत्पन्न हुआ कि कहीं बुद्ध भगवान्के पश्चात् उनके संघमें भी ऐसा ही विवाद उत्पन्न न हो जाये ।। अपने इस संदेहको चर्चा उन्होंने बुद्ध भगवान्से भी की। यही वृत्तान्त वीप-निकायके पासादिकसुक्तमें भी पाया जाता है। इसी निकामहे संगोलिक्विार-त में भी बनने में महावीर-निर्वाणका वही समाचार पहुंचता है और उसपर बुद्धके शिष्य सारिपुत्तने भिक्षुओंको आमन्त्रित कर वह समाचार सुनाया तया भगवान बुद्धके निर्वाण होनेपर बिवावफी स्थिति उत्पन्न न होने देनेके लिए उन्हें सतर्क किया । इसपर स्वयं बुद्धने कहा-साधु, साधु, सारिपुत्र, तुमने भिक्षुओंको अच्छा उपदेश दिया। ये प्रकरण निस्सन्देह रूपसे प्रमाणित करते हैं कि महावीरका निर्वाण' बुद्ध के जीवन-काल में ही हो गया था। यही नहीं, किन्तु इससे उनके अनुयायियोंमें कुछ विवाद भी उत्पन्न हुआ था जिसके समाचारसे बुद्ध के संघमें कुछ चिन्ता भी उत्पन्न हुई यो, और उसके समाधान का भी प्रयत्न किया गया था। इस प्रकार बुद्धसे महावीरकी वरिष्ठता और पूर्व-निर्वाण निस्सन्देह रूपसे सिद्ध हो जाता है और उनका दोनोंकी उक्त परम्परागत निर्वाण-तिथियोंसे भी मेल बंट जाता है।
८. महावीर-जन्मस्थान प्रस्तुत ग्रन्थ संधि १ कडवक ६-७ में कहा गया है कि जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्रमें स्थित कुण्डपुरके राजा सिद्धार्थ और रानी प्रियकारिणीके चौबीसवें जिनेन्द्र महावीरका जन्म होगा । इस परते इतना तो स्पष्ट हो गया कि भगवान्का जन्मस्थान कुण्ठपुर था । किन्तु वहीं उसके भारत में स्थित होने के अतिरिक्त और अन्य
१. महावीर और युद्ध के निर्माण कालसम्बन्धी उरलेला । हारोहके लिए देखिए
बिटरनिटन ! हिरी ऑफ इंडियन लिटरेचर भाग २ अपेण्डिक्स १ बुद्ध-निर्धाण व अपेगि ६ महाकार-निवाग] गुनि मगराज कृत आगम और त्रिपिटक : एक अनुशौकन, पृष्ठ ४६-१२८॥