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________________ 72 वास्तु चिन्तामणि 5. स्तम्भ वेध -घर के मध्य भाग में स्तम्भ हो या घर के मध्य भाग में अग्नि या जल का स्थान हो तो घर में स्तम्भ वेध या हृदय शल्य होता है। इससे वंशनाश, कुल क्षय की संभावना रहती है। 6. तुला वेध - घर के ऊपर-नीचे की मंजिल में पीढ़े कम ज्यादा हों तो तुला वेध होता है। यदि पीढ़े समान संख्या में हैं तो दोष नहीं रहता है। इससे घर में अशुभ फलदायक घटनाएं होती 7. द्वार वेध - घर के द्वार के सामने या मध्य में कोई वृक्ष, कुंआ, स्तम्भ हो अथवा किसी के मकान का कोना अपने घर के सामने हो या गाय आदि पशु बांधने का खूटा गाड़ा गया हो तो द्वार वेध होता है। द्वार के सामने या बीच में सदा कीचड़ जमा रहता हो अथवा दरवाजे पर शूकर आदि बैठे रहते हों तो द्वार पंध होता है। दूसरों के घर का रास्ता अपने घर से जाता हो अथवा घर का गंदा पानी निकालने की नाली मूल द्वार के मध्य में हो अथवा ब्रह्मा के मंदिर के द्वार के ठीक सामने अपने घर का द्वार हो तो भी द्वार वेध होता है। इगवेहेण य कलहो कमेण हाणि च जत्थ दो हति। तिहु भूआण निवासो चउहि खओ पंचहिं मारी।। - वास्तुसार प्र. । गा. 124 एक ही घर यदि एक वेध से दुषित है तो कलह होती है। एक ही घर यदि दो वेध से दुषित है तो अतिहानि होती है। एक ही घर यदि तीन वेध से दृषित है तो भूतों का वास होता है। एक ही घर यदि चार वेध से दुषित है तो लक्ष्मी नाश होती है। एक ही घर यदि पांच वेध से दूषित है तो महामारी, भयंकर पीड़ा होती है। वेध दोष परिहार राजमार्गान्तरे वेधो न प्राकारन्तरेऽपि च। स्तंभ पदादि वेधस्तु नाभित्यंतरतो भवेत्।। देवालय और मकान के मध्य यदि राजमार्ग, कोट, किला आदि आयें तो वेध दोष नहीं होता। यदि मध्य में दीवाल हो तो स्तम्भों के पद का वेध दोष भी निराकरण हो जाता है।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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