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वास्तु चिन्तामणि
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9. जमीन की पूर्व दिशा की भूमि या वास्तु कटी होने पर गृहस्वामी की
शक्ति क्षीण होती है तथा अपमान होता है। 10. दक्षिण दिशा की जमीन कम होने पर भी शुभ होती है। 11. पश्चिम दिशा को जमीन या वास्तु कम होने पर भी मध्यम फल मिलता
है। 12. उत्तर दिशा की जमीन या वास्तु कम होने पर धन नाश होता है। 13. सामान्य रूप से भूमि और वास्तु का चौकोर (आयताकार या वर्गाकार)
होना अत्यंत शुभ है। 14. पूर्व दिशा की ओर जमीन का या वास्तु निर्माण का भाग अधिक हो तो
स्वामी को कीर्ति, प्रतिष्ठा मिलती है किन्तु वंश वृद्धि की दृष्टि से
हानिकारक है। 15. दक्षिण दिशा की ओर जमीन का या वास्तु निर्माण का भाग अधिक हो
तो दरिद्रता का आगमन होता है। 16. उत्तर दिशा की ओर जमीन का या वास्तु निर्माण का भाग अधिक हो
या बाहर की ओर निकला हो तो धन-धान्य वृद्धि होती है वंश वृद्धि
होती है। 17. पश्चिम दिशा की ओर जमीन का या वास्तु का निर्माण अधिक होने की
स्थिति में ऐश्वर्य का नाश होता है।